नई तौल की
नई प्रणाली का
सिक्का भी नया।
'हृदय', बुद्धि के
बाँट से तौला गया।
नई विचारधारा के अनुसार,
अश्रु खारे हैं।
मोती पुरानी तौल थी,
भावों के प्रदर्शन पर
'फाइन' लगता है।
हृदयहीन दिलदार कहलाता है।
वैज्ञानिक बुद्धिजीवी
तो कवि ढ़ोंगी कहलाता है।
वैसे, मरते दोनों हैं;
एक प्रयोग की सड़न से,
दूसरा हृदय की घुटन से,
फ़र्क है तो केवल नई तौल का !
-उषा
मैं एक मनोवैज्ञानिक जिसका झुकाव दर्शन शास्त्र की ओर अधिक है पेशे से शिक्षिका प्रधानाचार्या और शौक के लिहाज़ से एक लेखिका ,कवियित्री, चित्रकार व गायिका . D