मिश्रा जी आंगन में बैठे थे। तभी उनकी नजर चेष्टा पर जाती है ।जो फोन पर बात करती हुई खुश नजर आ रही थी ।
बेटी क्या हुआ? तुम आज इतनी सुबह-सुबह खुश कैसे हो ?
चेष्टा मिश्रा जी का आशीर्वाद लेते हुए ,कुछ नहीं पापा ,आज मेरे वर्षों की मेहनत व बचपन का सपना पूरा हो चुका है। मैं सीनियर मैनेजर बन चुकी हूं। मिश्रा जी चेष्टा को गले लगाते हुए बधाई देने लगते हैं ।
तभी उनकी छोटी बेटी काव्या भागती हुई आती है।पापा आज तो हमारे लिए खुशियों का दिन है ।अभी बुआ जी का फोन आया है। वह शर्मा जी व उनके लड़के को लेकर 1:00 आ रही है। दीदी को देखने।
हां काव्य यह तो खुशी की बात है ।बस एक बार तुम्हारी दीदी के पीले हाथ हो जाए।इसके साथ की सभी लड़कियों की तो कब की शादी हो गई ।बस तुम्हारी दीदी की इच्छा थी कि पहले वह अपना सपना पूरा करेगी फिर बाद में शादी करेगी। आज तुम्हारी मां होती तो कितनी खुश होती।
अच्छा पापा मैं चलती हूं मैं ऑफिस से आधे दिन की छुट्टी लेकर 1:00 बजे आ जाऊंगी यह कहते हुए चेस्ट ऑफिस के लिए निकल गई।
क्या हुआ पापा ?
आप उदास क्यों?
अभी तो आप दीदी के लिए कितने खुश थे फिर अब क्या हुआ?
हमे तो खुश होना चाहिए ,जो दीदी के लिए इतने बडे घर का रिश्ता है । कुछ नहीं बेटा मैं सोच रहा हूं क्या लड़के वालों को तुम्हारी दीदी की तरक्की रास आएगी। पापा क्यों ना आएगी दीदी ने इतनी मेहनत जो कि हैं।आप कुछ मत सोचो। 1:00 बजाने वाली है मुझे तैयारी भी करनी है यह कह कर काव्या काम करने में व्यस्त हो गई।
मिश्रा जी कुर्सी पर बैठे-बैठे सोच में डूब गए ।
इतने में बुआ जी लड़के वालों को लेकर आ गई ।सभी चाय नाश्ता कर रहे थे ।इतने में ही चेष्टा भी आ गई ।बुआ जी के कहने पर चेष्टा सोफे पर आकर बैठ गई । बुआ जी मिश्रा जी को कहती है भैया आपको तो पता होगा सार्थक अपने माता-पिता की इकलौती संतान है ।और यह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर है ।क्या चेष्टा बेटी तुम्हें सार्थक और उसका परिवार पसंद है। चेष्टा शरमाते हुए हां बोल देती है ।
सार्थक को पूछने पर वह अपनी एक शर्त रखता है।तुम्अहेपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी। मेरे सिवा मेरे बाद माता-पिता का और कोई नहीं है ,जो तुम्हें उनकी सेवा करनी होगी। यह सुनकर तो चेष्टा निर्जीव सी हो गई ।
चेष्टा कि तरफ देखते हुए मिश्रा जी बेटा हमारी चेष्टा घर वालों की देखभाल के साथ नौकरी भी कर लेगी ।तुम्हें तो बुआ जी ने बताया होगा की चेष्टा ने इसके लिए कितनी मेहनत की है। फिर तुम क्यों? इस नौकरी छोड़ने की बात कर रही हो ।
शर्मा जी कहते हैं हमें पता है चेष्टा ने इसके लिए बहुत मेहनत की है।लेकिन हमारा सार्थक भी सही बोल रहा है ।चेष्टा को नौकरी की क्या जरूरत जब हमारा सार्थक इतने उच्च पद पर है।
लेकिन शर्मा जी हमारी बेटी के वर्षों की मेहनत आप......…...............
बीच में ही काव्य बोलती है पापा आप इस रिश्ते लिए मना क्यों नहीं कर देते । जब यह लोग हमारी दीदी को नहीं समझ रहे। सार्थक इतना पढ़ा लिखा होकर ऐसी बात कर रहा है। तो हम क्यों इस रिश्ते के लिए हां करे।
चेष्टा भी दोहरा पर खडी थी।अपना जीवन साथी चुने या वर्षों की मेहनत।
मिश्रा जी हाथ छोड़कर इस रिश्ते के लिए मना कर देते हैं। बुआ जी लड़के वालों को लेकर चली गई।
चेष्टा की आंखों में आंसू देख कर मिश्रा जी के गालों पर भी आंसू लुढ़क पड़े।