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जिंदगी

27 जनवरी 2015

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कतरा कतरा जिंदगी... कतरा कतरा आंसू कतरा कतरा मुस्कान .... कतरा कतरा सुख कतरा कतरा गम गुंथे हों जैसे कई धागे रंग बेरंग एक झीनी झीनी चादर सी .... आती हो हवा भी थोड़ी-थोड़ी थोड़ी-थोड़ी धुप झलमल झलमल.... मिलजुलकर घुलमिलकर स्वादों का मेल कुछ मीठे कडवे कसैले समय की आंच काठ की हांड़ी में तन के चूल्हे पर पककर धीरे-धीरे बना अनोखा व्यंजन कतरा कतरा मिलकर बन जाती जिंदगी.... कतरा कतरा जिंदगी.... "पवन"

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27 फरवरी 2015

महेंद्र सिंह

महेंद्र सिंह

बहुत अच्छा

27 जनवरी 2015

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