जिंदगी क्या है का सारांश। रेशमा परवीन। जिंदगी क्या है इस कहानी को रेशमा परवीन ने लिखा है। इस किताब में उन्होंने यह समझाने की कोशिश की है, की जिंदगी का जो सफर होता है। वह आसान नहीं होता। उनमें मुश्किलें परेशानियां तो होती है। लेकिन वह किसकी वजह से आती है। वह आती है अपनी खुद की वजह से। लेकिन हमें यह मानने को तैयार नहीं होते हैं। क्या आखिर गलती अपनी है। हम यह समझने में नहीं ध्यान देते। बल्कि दूसरों की नकल करने में ध्यान देते हैं।और इस चक्कर में हम ज्यादातर काम अनलिमिटेड करते हैं। जिसका हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। हम सबसे ज्यादा इस बात पर ध्यान देते हैं कि, लोग क्या कहेंगे। खुद से पहले लोग आ जाते हैं हमारे बीच। अपनी जिंदगी है और एक ही बार मिली है। तो इसकी कद्र करो। और अपनी जिंदगी का कुछ नेक मकसद रखो। हम अपनी जिंदगी के खुद ही रचयिता है। यह भी बात सच है कि हम जो बोलते हैं वही हमें मिलता है। सब खेल अपनी सोच का होता है। यह आप इस बुक से सीखेंगे। और हमें खुद पर भरोसा रखना चाहिए जिंदगी जरूर बदलेगी। इच्छा शक्ति का आप किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आप समझ पाएंगे। और एक बात आपको समझ जाएगी कि बिना सोचे समझे अभी कुछ भी नहीं करना चाहिए।यह बात आपने सुनी ही होंगे कि बोलो मगर तोल तोल के। और आप हर जगह रेडी होते हो कहीं भी जाने के लिए तो यह काम कब किया करो। अपनी जिंदगी की वैल्यू करना सीखो। वरना लोग आपको फालतू समझेंगे। और आप देखेंगे कि आप अपने हालत जो भी है उसे कैसे बदल सकते हैं। आप अपने सपनों को भी पूरा कर सकते हो। बस आपको पता नहीं होता कि आपको करना क्या है। अगर आप अपनी लाइफ में फेल होते हो तो। उसका रीजन बताने की कोशिश की गई है। यह एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। दुनिया की 95% लोग इस परिस्थिति में रहते हैं। और यह बात सच है कि उन्हें पता ही नहीं होता क्या करना है या फिर वह क्या कर सकते हैं। अगर आप असफलता से सफलता की तरफ जाना चाहते हो तो आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इस बुक में आप अपनी जिंदगी को सफल बनाने के बहुत लेसन आप सीखो गे। हमें दूसरों पर नहीं खुद पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम सुधर गए तो लोग अपने आप सुधर जाते हैं। हमें अपनी जिंदगी की खुद ही जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लेकिन आज की परिस्थिति