था तो वो अजनबी, लेकिन कब मेरा बन गया ,पता ही नही चला।
कब उस अजनबी ने इस मासूम से दिल पर कब्जा कर लिया पता ही नही चला ।
था तो वो अजनबी ,लेकिन कब उसने अनजाने में ही इस दिल पर कब्जा कर लिया हमे पता ही नही चला ।
लड़ते झगड़ते , रूठते मनाते ,कब हम एक दूसरे की जिंदगी का हिस्सा बन गये पता ही नही चला ।
अब तो हर पल जिंदगी का साथ निभाने की बाते होती है , कुछ बीते हुए पलों की पुरानी यादें साथ होती है , उस अजनबी के साथ जिंदगी भर साथ निभाने की बस यही रब से फरियाद होती है ।
कुछ नए लम्हों से जिंदगी सजाने की ख्वाइश सी दिल में कहीं रहती है ।
था तो वो अजनबी लेकिन कब अपना बन गया पता ही नही चला ,कब वो ,अजनबी से हमसफर बन गया पता ही नही चला ।