व्योम पटल पे लिख दो,नई कहानी अपनीलहू अक्षरो से ये जवानी अपनी..हाहाकार मचे शत्रु के सीने मेंअंतर न रहे मरने जीने मेंगलत दिशा में शीश उठाने वालोनफ़रत को गले लगाने वालोशत्रु के माथे पर गढ़ दोखुद नि
धनहर और मनहरधनहर मनहर दोनो साथी और संघाती है।गंगा में धनहर नाव तो मनहर पतवार है।बीज बोता धनहर खेत मे, ध्यान मनहर देता है।ट्यूबवेल धनहर का बरहा होता मनहर का।फसल बड़ी हुई धनहर की काटता मनहर है।धनहर फसल लाया शहर में मनहर गांव में।धनहर की झोली भरी मनहर की जेब ऊँची हो गई।धनहर की कोठी हवेली, मनहर की झोपड़ी