कलम की यारी एक संकलन के समान ही होगा जिसमें नए नए भाव मिलते रहेंगे
0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
<div>हवा का रुख भाँप लेता हुँ</div><div>ये दम भरते थे। </div><div>यहाँ मैं टूटती रही</div><div>
<div>ख्वाब जो हमने देखा है,</div><div>वो पूरा होगा। </div><div>राह जो हमने चुनी है,</div><div>व