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दिल की बातें

17 अक्टूबर 2021

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हवा का रुख भाँप लेता हुँ
ये दम भरते थे। 
यहाँ मैं टूटती रही
और तुम समझ ना सके। 

"अनुराग आनंद"

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कलम की यारी
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कलम की यारी एक संकलन के समान ही होगा जिसमें नए नए भाव मिलते रहेंगे

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