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खुदगर्ज़

13 सितम्बर 2021

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15
रचनाएँ
रूप की डायरी
5.0
यह किताब कहीं ना कहीं वास्तविक लोक से आपको जुड़ी हुई दिखाई देगी । अधिकांश कविताएं, शायरी, मुक्तक, नज़्म किसी न किसी अनुभव से प्रेरित है । जब भी आप पढ़ेंगे जुड़ाव जरूर महसूस होगा । स्वागत है आपका "रूप की डायरी" में
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शर्त

8 सितम्बर 2021
19
22
6

<div><span style="font-size: 1em;">मुझसे दोस्ती यूँ लम्बी निभाओगे क्या ,</span></div><div>मैं नादान

2

ख्वाबों की ओर

8 सितम्बर 2021
9
14
4

<div>चल यार 'रूप' कुछ पुराना सा</div><div>पुराने तौर तरीके से करते हैं</div><div>थक गए हैं नए दिखावट

3

जरा देख तो लो

8 सितम्बर 2021
8
18
2

<div><div>वो उसका दिल है कि श्मशान</div><div>कितने दफन हैं </div><div>जरा देख तो लो</div><div><

4

अच्छा सुनो

10 सितम्बर 2021
4
12
2

<div>अच्छा सुनो </div><div>एक बात बताओ</div><div>क्या सच में जा रहे हो</div><div>जा रहे हो क्यू

5

खुदगर्ज़

13 सितम्बर 2021
6
8
0

<div>तुमको क्या मालूम ऐ रूप</div><div>जाने कितना ख़ुदग़र्ज़ हूँ मैं</div><div>मौका परस्ती फितरत त

6

अच्छे लोग सम्भाल कर रखो

13 सितम्बर 2021
6
5
2

<div>बेअदब ज़माने के किस्सों में</div><div>कुछ हुनर बना कर रखो</div><div>सुना सको जो तुम अपनो को</div

7

रूप की गलियाँ

13 सितम्बर 2021
5
5
2

<div>जो मैं कह ना सका </div><div> जो मैं दिख ना सका </div><div> जो मैं सह ना सक

8

ऐब

15 सितम्बर 2021
3
7
0

<div><b>मेरे भी ऐब कई थे मगर </b></div><div><b>सपनों के साथ कुछ टूट गए</b></div><div><b>हमें मन

9

मैं लिख सकता हूँ

30 सितम्बर 2021
2
2
0

<div><b><i>उसने अपने बारे में लिखने कहा</i></b></div><div><b><i><br></i></b></div><div><b><i>मैं लिख

10

ख्वाब में ही आना

30 सितम्बर 2021
1
2
2

<div><b><i>सुनो ना </i></b></div><div><b><i>तुम सपनों में, यादों में ही आना </i></b></div>

11

मरहम की तरह

30 सितम्बर 2021
5
2
0

<div><b><i>तुम यूँ तो चले ही जाओगे</i></b></div><div><b><i>मेरे छोटे से आंगन से बहुत दूर</i></b></di

12

अंदाज़ ए इश्क़

12 अक्टूबर 2021
3
4
2

<div><b>फिर छिड़ी रात बात उन फूलों की</b></div><div><b>सासों में अब जिनकी खुशबु बहा नहीं करते ।

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मेरी कोशिश

24 अक्टूबर 2021
3
2
2

<div><b><i>कोशिश ये मेरी है की </i></b></div><div><b><i>मेरे भी लफ्ज़ खत्म हो</i></b></div><div>

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अति की भली ना अति

26 नवम्बर 2021
1
1
0

<div><b>जाके मारे रहे मती,</b></div><div><b>आप ही मती मत खोई</b></div><div><b>समझ समझ का फेर है,&nbs

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संग अपने मोहब्बत रखता हूँ

19 फरवरी 2022
2
1
0

जमाने से है दिल बेखबर पर मन किताब में सबके खत रखता हूँ।जो मेरा दुश्मन है वो भी दोस्त हैमैं किसी से नहीं नफरत रखता हूँ।जो ना भाये किसी को लफ्ज़ मेरेदूरी उनसे कुछ हद रखता हूँ।क्या देंगे जमाने

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