Rupendra Sahu "रूप"
"मैं खुश हूँ तो बेहतर हूँ" लिखेंगे किसी दिन अपने बारे में भी गुमनाम सी ही अपनी रवानी अभी
रूप की डायरी
यह किताब कहीं ना कहीं वास्तविक लोक से आपको जुड़ी हुई दिखाई देगी । अधिकांश कविताएं, शायरी, मुक्तक, नज़्म किसी न किसी अनुभव से प्रेरित है । जब भी आप पढ़ेंगे जुड़ाव जरूर महसूस होगा । स्वागत है आपका "रूप की डायरी" में
रूप की डायरी
यह किताब कहीं ना कहीं वास्तविक लोक से आपको जुड़ी हुई दिखाई देगी । अधिकांश कविताएं, शायरी, मुक्तक, नज़्म किसी न किसी अनुभव से प्रेरित है । जब भी आप पढ़ेंगे जुड़ाव जरूर महसूस होगा । स्वागत है आपका "रूप की डायरी" में
रूप की डायरी - 2
यह पुस्तक एक कविता संग्रह है । यह पुस्तक मेरे द्वारा अनुभव किये गए जिंदगी के कुछ वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है और कुछ काल्पनिक प्रसंगों का चित्रण कविताओं के माध्यम से करने का प्रयास किया है । कवितायें मुखयतः छंदमुक्त है और सरल भाषा में लिखने का प्रया
रूप की डायरी - 2
यह पुस्तक एक कविता संग्रह है । यह पुस्तक मेरे द्वारा अनुभव किये गए जिंदगी के कुछ वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है और कुछ काल्पनिक प्रसंगों का चित्रण कविताओं के माध्यम से करने का प्रयास किया है । कवितायें मुखयतः छंदमुक्त है और सरल भाषा में लिखने का प्रया