30 सितम्बर 2021
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"मैं खुश हूँ तो बेहतर हूँ" लिखेंगे किसी दिन अपने बारे में भी गुमनाम सी ही अपनी रवानी अभीD
<div><span style="font-size: 1em;">मुझसे दोस्ती यूँ लम्बी निभाओगे क्या ,</span></div><div>मैं नादान
<div>चल यार 'रूप' कुछ पुराना सा</div><div>पुराने तौर तरीके से करते हैं</div><div>थक गए हैं नए दिखावट
<div><div>वो उसका दिल है कि श्मशान</div><div>कितने दफन हैं </div><div>जरा देख तो लो</div><div><
<div>अच्छा सुनो </div><div>एक बात बताओ</div><div>क्या सच में जा रहे हो</div><div>जा रहे हो क्यू
<div>तुमको क्या मालूम ऐ रूप</div><div>जाने कितना ख़ुदग़र्ज़ हूँ मैं</div><div>मौका परस्ती फितरत त
<div>बेअदब ज़माने के किस्सों में</div><div>कुछ हुनर बना कर रखो</div><div>सुना सको जो तुम अपनो को</div
<div>जो मैं कह ना सका </div><div> जो मैं दिख ना सका </div><div> जो मैं सह ना सक
<div><b>मेरे भी ऐब कई थे मगर </b></div><div><b>सपनों के साथ कुछ टूट गए</b></div><div><b>हमें मन
<div><b><i>उसने अपने बारे में लिखने कहा</i></b></div><div><b><i><br></i></b></div><div><b><i>मैं लिख
<div><b><i>सुनो ना </i></b></div><div><b><i>तुम सपनों में, यादों में ही आना </i></b></div>
<div><b><i>तुम यूँ तो चले ही जाओगे</i></b></div><div><b><i>मेरे छोटे से आंगन से बहुत दूर</i></b></di
<div><b>फिर छिड़ी रात बात उन फूलों की</b></div><div><b>सासों में अब जिनकी खुशबु बहा नहीं करते ।
<div><b><i>कोशिश ये मेरी है की </i></b></div><div><b><i>मेरे भी लफ्ज़ खत्म हो</i></b></div><div>
<div><b>जाके मारे रहे मती,</b></div><div><b>आप ही मती मत खोई</b></div><div><b>समझ समझ का फेर है,&nbs
जमाने से है दिल बेखबर पर मन किताब में सबके खत रखता हूँ।जो मेरा दुश्मन है वो भी दोस्त हैमैं किसी से नहीं नफरत रखता हूँ।जो ना भाये किसी को लफ्ज़ मेरेदूरी उनसे कुछ हद रखता हूँ।क्या देंगे जमाने