ख्याल जब मन में हलचल मचाए कहने से बेहतर क्यों न उन्हें लिखा जाए
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बहुत बढ़िया देवीलाल जी । क्या खूब लिखा ।सच मे लोगों को अगर सच्चाई का आइना दिखाया जाए तो उन्हें इतनी मिर्ची क्यों लगती है ।ये बात हमे आज तक समझ नही आई।
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कई बार जो हम सोचते है और चाहते है । उससे उलट हो जाता है। जरूरी नहीं हम जो चाहे वहीं हो, इसके कई कारण होते है। कुछ कोशिश में कमी या फिर किस्मत भी कह सकते है। उस वक्त हौसला हारने के बजाय अपनी कमजोरियों
आइना सच का जो किसी को दिखाया बड़ा शोर उसने मचाया सच से मुंह फेरा यारों हमें ही उसने घेरा खुद करे छल और फरेब ढिंढोरा पीटे और जमाए रौब क्या करे कलयुग है भाई सुनी जाए ना सच्चाई दिखावे के सीधे मन के ये ह