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कलंकिनी

19 मई 2022

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रीवा के कलेक्टर ऑफिस में आज बड़ी सजावट हो रही थी,  आज नई कलेक्टर साहिबा का आगमन होना था , वह दिल्ली से यहां ट्रांसफर हुई थी , सुनने में आया था की वह बहुत साफ सफाई पसंद ,तेज तर्रार और स्ट्रिक्ट थी ,!!
सुचित्रा ठाकुर  यही नाम था उनका , पूरा कलेक्टर ऑफिस पिछले एक हफ्ते से साफ किया जा रहा था ,वैसे तो ऑफिस हमेशा साफ ही रहता था, फिर भी पुराने कलेक्टर श्री राम अवस्थी जी सुचित्रा के बारे ने बहुत कुछ समझा गए थे , *"!!

उनका आने का समय हो गया था , स्टाफ ने। उनके स्वागत के लिए छोटी सी बैंड पार्टी भी बुला लिया था , ताकि उनका वेलकम अच्छे से किया जा सके , उनके अंडर में काम कर चुके एक ऑफिसर  रंगाराव भी यहां पर कुछ दिन पहले ही ट्रांसफर हुए थे ,उन्हे सुचित्रा ठाकुर के बारे में पुरी जानकारी थी तो उन्होंने यहां के लोगो को उसी हिसाब से तैयारी करने को कहा था , सुचित्रा मैडम का एक भी फोटो नही मिला था वरना वह लोग फोटो भी लगा देते , वैसे रंगाराव ने बैंड के लिए मना किया था पर लोअर स्टॉफ नही माना  यह उनकी दिली इच्छा थी और सबसे बड़ी बात थी की यहां पर पहली बार कोई महिला कलेक्टर आ रही थी , !!

थोड़े ही समय में सुचित्रा ठाकुर की गाड़ी ऑफिस के गेट में एंटर करती है , जैसे ही गाड़ी करीब आती है , बैंड बाजा बजने लगता है , वह एक प्यारी सी धुन बजाते हैं वेलकम के लिए , गाड़ी रुकती हैं , जूनियर स्टॉफ में से मनोज बाजपेई को आगे बढ़कर उनका स्वागत करना था , वह गुलदस्ता लेकर आगे बढ़ता है , तो कलेक्टर को देख चौक उठता है और जहां था वहीं रुक जाता है ,उसके पैर आगे बढ़ने से रूक जाते हैं ,यह देख रंगाराव उसके हाथ से गुलदस्ता ले सीनियर अधिकारी होने के कारण वह खुद मैडम का वेलकम करने जाते हैं ,!!

रंगाराव को देखते ही सुचित्रा मैडम मुस्कराकर कहती है , *" आप मुझसे पहले यहां पर पहुंच चुके हैं ,तब तो मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी , पर ये बैंड बाजा क्यों मंगवाया ,*"!!

रंगाराव कहते हैं ,** सॉरी मैडम ,ये लोअर क्लास के वर्करों ने व्यवस्था की थी यहां पहली बार कोई महिला कलेक्टर आई इसी लिए उनकी इच्छा थी अब इच्छा तो इच्छा ही होती है ,*"!!

मनोज बाजपेई जहां खड़ा था वहां से वह घूम कर अंदर चला जाता है , उसके चेहरे पर पसीना छूट रहा था ,जबकि ठंड का मौसम था , उसका घर यहां से करीब तीस किलोमीटर पर था , वह रोज मोटर साइकिल पर आता जाता था , वह चुप चाप  अपने  टेबल पर आकर बैठता है ,*"!!

थोड़ी देर में सभी स्टॉफ मैडम का वेलकम कर वापस आया , रंगाराव अपनी कैबिन में जाने से पहले मनोज को देख कर भड़क जाता है ,!!
रंगाराव कहता है ,*" मिस्टर मनोज आप ने जो आज हरकत की उसके लिए आपको सस्पेंड किया जा सकता है ,और चाहें तो आपको टर्मिनेट भी किया जा सकता है , तुम यहां के अच्छे स्टॉफ में से एक हो तुमसे ऐसे व्यवहार की उम्मीद नही थी, तुमने ऐसा क्यों किया पहले तो तुम्ही ने कहा था की मैं स्वागत करूंगा ,और अंतिम समय में तुमने तो पूरे कलेक्टर ऑफिस की इंसल्ट करवाने में लग थे, तुम मुझे इसका जवाब लिखित दोगे की तुमने ऐसा क्यों किया ,*"!!

तभी एक दूसरा ऑफिसर आकर कहता है ,*" राव सर मैडम आज रात सभी स्टॉफ के साथ डिनर करना चाह रही है , आज से ही काम भी शुरू कर दिया उन्होंने , हमने कहा कल यहां लंच  कर लिया जाएगा ,तो वह कहने लगी काम के टाइम पर इंट्रोडक्शन नही कर सकते ,आज रात ही हम अपने पूरे स्टॉफ से मिलना चाहते है , जिनके साथ हम काम कर रहे हैं उनसे एक बार आमने सामने मिल कर एक दूसरे के बारे में जानना जरूरी है ,*"!!
रंगाराव मनोज को देखते हुए जाता है ,*"!!
मनोज बाजपेई अपना सर पकड़ कर बैठ जाता है , उसे याद आने लगता है पंद्रह साल पहले की घटना ,*"!!
वह स्कूल से घर पहुंचा था , घर में कोहराम मच गया था , उसकी बड़ी दीदी दिव्या जो उस से  सात साल बड़ी थी और अभी एम ए की छात्रा थी ,वह घर से भाग गई थी , !!
दो दिन से घर में हंगामा हो रहा था , दो दिन पहले जब दीदी ने विस्फोट किया था की वह अविनाश ठाकुर जो उसके कॉलेज का फ्रेंड है ,उनसे प्यार करती हैं और उसी से शादी करना चाहती है , तो मां और पिता जी हत्थे से उखड़ गए थे , पिता जी ने उसे पहली बार चार बेंत खीच कर मारा था दीदी  सटपटा कर रह गई थी उनके हाथों में बेंत के निशान पड़ गए थे , ,!!

मां ने कहा कि ,*" उसकी शादी उन लोगो ने एक अच्छे परिवार में कर दी हैं तो वह कहती हैं ,*" मां मैने फैसला कर लिया है की शादी करूंगी तो अविनाश ठाकुर से ही करूंगी ,और प्रोब्लम क्या है , अविनाश भी बिहार के ब्राह्मण ही है  ,!!

मां तो जैसे चंडी बन गई थी ,वह पहली बार दीदी के बाल पकड़ कर जोर से नीचे पटक कर उसे कलंकिनी बोल बोल कर तीन चार लात जड़ दिए थे पर दीदी ने कुछ नही कहा , वह चुप चाप सब कुछ सह ली , उधर मां ने उसे कलाकिनी से लेकर पता नही क्या क्या उपाधि दे दी थी , वह तो छोटा था , उसे मां बाप ने जो कही वही समझा था ,उसे तो तब  बात समझ आई थी जब वह बड़ा हो गया और उसे भी एक लड़की से प्यार हो गया था उसके समय में भी हंगामा तो हुआ पर लोगो के कहने पर की कल को यह भी बेटी की तरह घर छोड़ कर चला जायेगा तो क्या करोगे , और क्या बुरा है बिरादरी की लड़की है जाना पहचाना
परिवार  है  तो जाकर बड़ी मुश्किल से माने  और उसकी शादी के मां पिता जी को अपनी गलती का एहसास हुआ कि यदि वह लोग बेटी की बात मान लिए होते तो वह भी साथ होती ,वह अब अपने आप  को बेटी का अपराधी मानने लगे थे , उन लोगो ने बहुत पता करने की कोशिश की खुद मनोज ने बहुत प्रयास किया पर दिव्या का कहीं पता नही चला था , और आज सुचित्रा को देख उसके पैर इसलिए रुक गए थे की वह अपनी दिव्या दीदी को देख आगे बढ़ने की हिम्मत नही जुटा पाया था ,*"!!

रात  डिनर में सभी आते हैं शिवाय मनोज के , रंगाराव कहते है ,*" मैडम वो मनोज बाजपेई  यहां से काफ़ी दूर रहता है , इसलिए चला गया कल दिन में मिल लेगा ,वो बहुत बढ़िया ऑफिसर है यंग है , !!
सुचित्रा चौक कर पूछती है ,*" कहां का है वो ,*"!?

एक स्टॉफ कहता है , मैहर धाम के पास हरिपुर  कस्बे से आता है ,यहां पैंतीस किलोमीटर पर है , !!
हरिपुर का नाम आते ही उसके सामने पुरानी यादें धुधली धुंधली दिखलाई पड़ते लगती है , मारने के बाद उसकी मां ने उसे कमरे में बंद कर दिया था ,वह तो उसने सुबह पिता जी के ड्यूटी पर जाने के बाद और  मां के मंदिर जाने के बाद घर में मनोज के अलावा कोई नही था ,मनोज अपने में मस्त था तो खिड़की से उसने पड़ोस के लड़के को आवाज देकर धीरे से बुलाकर दरवाजा खोलने के लिए कहती है और उसे बीस रुपए दिए थे ,तो वह अंदर आकर  दरवाजा खोल गया था  ,मनोज स्कूल जाने के लिए नहाने गया था ,और मां को आने में आधे घण्टे था , वह जल्दी से अपना सामान उठाती हैं और घर से निकल गई थी ,,*"!!
वह अविनाश के साथ रीवा छोड़  दिल्ली निकल गई थी , अविनाश ठाकुर बहुत अच्छा प्रेमी निकला ,उसने दिव्या के लिए खुद को कुर्बान जमकर दिया था ,उसने नौकरी कर ली और दिव्या को पढ़ने के लिए कहा दिव्या पढ़ने में तेज़ थी और उसने पोस्ट ग्रेजुएट के बाद पी एच डी भी की और साथ ही साथ आई ए एस एग्जाम की तैयारी भी करती रही थी ,  दूसरे अटैंप्ट में वह आई ए एस क्लियर कर लिया ,और 27 साल की कम उम्र में वह पहले असिस्टेंट कलेक्टर बनी और अपनी प्रतिभा के दाम पर जल्दी ही कलेक्टर बनी , !!
उसे पता चल गया था, की उसके पिता ने उसका श्राद्ध भी कर दिया था तो उसने अपना नाम ही बदल दिया था ,उसके साथ उसके पति की कुर्बानी थी , *"!!
तभी रंगाराव कहता है ,*" मैडम आप कहां खो गई  , डिनर सर्व किया जा चुका है , तो शुरू करे , *"!
सुचित्रा ठाकुर अपने आंखो में छलक आए आंसु पोंछ कर खाना शुरू करती हैं ,""!!

दूसरे दिन सुबह वह जैसे ही ऑफिस पहुंचती हैं ,और गाड़ी से उतरती है तो सामने दो बूढ़े पति पत्नी खड़े दिखाई देते हैं
सोलह साल में उसके माता पिता वक्त से पहले ही बूढ़े हो गए थे ,!!
उसके माता पिता उसके सामने कांपते हाथो से हाथ जोड़कर कहते है *" हमे माफ कर देना , हम तुम्हे बेटी कहने का हक तो खो चुके हैं , पर माफी मांगने के बाद हम शांति से मार सकेंगे ,*"!!
सुचित्रा झुक कर उनके पैर छूती है और कहती है ,आप लोगो ने मुझे कलंकिनी नही बनाया होता तो शायद मैं कलेक्टर नही बन पाती , मनोज क्यों नहीं आया ,उसको बीच में देखा था अब भी वैसे ही दिखता है या बदल गया है , *"!!
उसके पिता आवाज देते है , *" अरे नालायक बहन के लिए मारा जा रहा था अब सामने है तो सामने आने में शर्म आ रही है , ,*"!!
मनोज आकर बहन के पैरो पर गिर पड़ता है ,सुचित्रा उसे उठाती है और कहती है ,*" तुम तो अभी भी वैसे ही हो जैसा मैं छोड़ कर गई थी , *"!!
उधर पूरा स्टॉफ यह दृश्य देख रहा था , रंगाराव को तो बहुत ही आश्चर्य होता है ,उसे अब समझ आया की मनोज क्यों आगे नहीं बढ़ पाया था, *"!!

सुचित्रा ,मनोज से मां पिता को बंगले पर छोड़ कर आने के लिए  कहती है, *"!!
आज मां और पिता के संतुष्टि के भाव थे , और सुचित्रा की आंखो में मां पिता के मिलने पर विजई भाव थे , वह धीरे धीरे अपने ऑफिस की ओर बढ़ती है ,*"!!

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एक लड़की जिसे प्यार करने की सजा में उसके मां बाप ने कलंकिनी कहा था,और वह घर छोड़ कर भाग गई थी ,जब वह लौटी तो क्या होता है ??

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