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कृष्ण कुमार पांडेय की डायरी

कृष्ण कुमार पांडेय

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krishna kumar pandey ki dir

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पुस्तक के भाग

1

कृष्ण की कल्पना

18 नवम्बर 2017
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कृष्ण की कल्पना "मुझे जिसकी तलाश हैवो मुझसे दूर है या कही आसपास हैकब से उसका इंतजार है मुझेकभी लगता पूरी हो गयी है कभी लगता अधूरी अभी तलाश है तन्हाई में अक्सर यही सोचता हूँआखिर वो कैसी होगी क्या मेरी कल्पना के जैसी होगीवो होगी सूरज के उजाले की तरहया होगी चांदनी रात की तरहस

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नारी ही तो है-1

2 दिसम्बर 2017
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नारी ही तो है-1"सृष्टि का सृजन है वो, मातृत्व की अधिकारी ही तो है नारी ही तो है,पैदा किया, पाला और बड़ा किया, घुटनो से चलना सिखाया और पैरों पे खड़ा किया,तन का उसने खून सुखाया,स्तन से उसने दूध पिलाया,सर्द हवाएं झेली उसने,गर्मी का हमे अहसास कराया,दूध पिया हमने उसका,तब जाकर हम मर्द बने,फिर भी दर्द दिया उ

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