"मुझे जिसकी तलाश है
वो मुझसे दूर है या कही आसपास है
कब से उसका इंतजार है मुझे
कभी लगता पूरी हो गयी है
कभी लगता अधूरी अभी तलाश है
तन्हाई में अक्सर यही सोचता हूँ
आखिर वो कैसी होगी
क्या मेरी कल्पना के जैसी होगी
वो होगी सूरज के उजाले की तरह
या होगी चांदनी रात की तरह
सोच के जिसे दिल झूम जाता है
क्या होगी वैसी बात की तरह
नहीं जानता वो कैसी होगी
पर फिर भी उसके बारे में लिखता हूँ
मेरी कविता में मेरे शायरी में
मै उसका ही चेहरा देखता हूँ
फिर सोचता हूँ अच्छा है जो अधूरी ये तलाश है
मेरी कलम के रूप में सही पर वो मेरे पास है"
✍️@कृष्ण