--"तुम भी..."
"तुम भी..."मेरी छठवीं कविता संग्रह है जो 'शब्द इन'पर आन लाइन लिखी जा रही है और वहीं से इन लाइन प्रकाशित भी होगी।यह संग्रह पूर्ण होने से पहले तक नि:शुल्क रहेगी जो पूर्ण होते ही सशुल्क कर दी जायेगी।
संग्रह में संकलित मेरी कविताएं मेरी मानस नायिका पर केन्द्रित है जो व्यवहारिक जीवन में होने वाले व्यवहारों,बदलाओं अथवा परिस्थिति जन्य समस्याओं के कारण परिलक्षित होती रहती हैं।संवेदना जीवन का मेकैनिज्म होता है और अगर मेकैनिज्म में गड़बड़ी हो तब जीवन प्रभावित तो होगा ही। "तुम भी..."में बनती,बिगड़ती,बसती तथा उजड़ती संवेदनाओं को रेखांकित किया गया है।
"तुम भी..."को आप तक पहुंचाने में 'शब्द इन' का मैं आभारी हूं जिसने मुझे प्लेटफार्म मुहैया कराया। आशा है कि आप 'तुम भी...'को अपना बौद्धिक सहयोग देकर मेरी इस कृति को अपना स्नेह देंगे।
ओंकार नाथ त्रिपाठी
अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर
उप्र।