Ashtavakra Mahageeta Bhag-V Sannate Ki Sadhna Read more
Kahai Kabir Diwana Read more
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या
हर पुरुष जीवन भर कहीं बच्चा ही बना रहता है और हर नारी चाहे बच्ची ही क्यों न हो हमेशा माँ बनी रहती है।नारियों को सम्मानित करने के लिए यह कहना ही पर्याप्त है कि उनका शरीर वह महान मूमि है जो अव्यक्त आत्मा को भौतिक शरीर के माध्यम से व्यक्त करने का महान क
Abhinav Dharma (अभिनव धर्मं) Read more
Antartam Ki Khoj Read more
फ़क़ीराना अंदाज़ शिर्डी साईबाबा के जीवन पर आधारित एक विशिष्ट उपन्यास है। हिंदी साहित्य में साईबाबा के जीवन पर यह पहला उपन्यास है। इसमें साईबाबा के जीवन के माध्यम से प्रेम के विराट स्वरूप को देखने का प्रयास किया गया है, उस प्रेम को जिसे कई बार लोग अनि
Kahe Kabir Main Poora Paya Read more
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 9: Anumaan Nahin Anubhav Read more
Kaha Kahun Us Desh Ki Read more
सीधी अनुभूति है अंगार है, राख नहीं। राख को तो तुम सम्हाल कर रख सकते हो। अंगार को सम्हालना हो तो श्रद्धा चाहिए, तो ही पी सकोगे यह आग। कबीर आग हैं। और एक घुंट भी पी लो तो तुम्हारे भीतर भी अग्नि भभक उठे- - सोई अग्नि जन्मों-जन्मों की। तुम भी दीये बनो। तु
अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है- सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था।बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड
ओशो को हम किसी व्यक्ति विशेष के रूप में नहीं देखते। ओशो तो प्रेम, ध्यान, संगीत, नृत्य, गीत, रस, मस्ती सभी कुछ हैं।जबसे हमने ओशो साहित्य का अध्ययन प्रारंभ किया तब से हमारे संगीत में प्रेम की फुहार पड़ने लगी है। ओशो ने संगीत को प्रेम बांटने का सशक्त मा
'जीवन तो जैसा है वैसा ही रहेगा। वैसा ही रहना चाहिए। हां, इतना फर्क पड़ेगा... और वही वस्तुतः आमूल क्रांति है। आमूल का मतलब होता है : 'मूल से'। ...आमूल क्रांति का अर्थ होता है : जो अब तक सोये-सोये करते थे, अब जाग कर करते हैं। जागने के कारण जो गिर जाएगा
Kasturi Kundal Basai Read more
Baba Ramdev Ke Sapno Ka Bharat Read more
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 6: Na Sansar Na Mukti Read more
ओशो स्वयं तूफानों को पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकर उन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। यह अक्षर उन्हीं के नाम जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है, अर्पित करती हूं-'कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा।
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