This book provides an analytical view of the successes and challenges encountered while creating the fast expanding rural sanitation movement in India, with a special focus on the last decade.While attempting to break the sanitation taboo in the coun
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Crime Reporter Kaise Bane? Read more
इन कहानियों से जूझते हुए बार-बार रीतता, फिर-फिर भर आता। जान नहीं पाता कि रीतने के लिए लिखता हूँ, या रिक्त हूँ इसलिए कहानियाँ बेरोक-टोक बही आती हैं। पर एक बार जब ये कहानियाँ भीतर प्रवेश करती हैं तो लगता है कि यह सब मेरे अपने ही जीवन की कहानियाँ हैं। श
इनका उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के गांव तराव में जन्म हुआ। बचपन नाना-नानी के साथ बाराचवर में बीता। प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूलों में हुई। उच्च शिक्षा वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ में की। एम.ए., एल.एल.बी. करने के बाद कुछ दिनों लखनऊ में वकालत की। शि
Yaaro Shadi Mat Karna Read more
राजशेखर मिश्र पिछले 23 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। दैनिक जागरण, रविवार, संडे ऑबजर्वर, स्वतंत्र भारत और मशहूर टीवी कार्यक्रम रू-ब-रू से संबद्ध रहे श्री मिश्र इस समय अमर उजाला में सहायक संपादक हैं और खेल पृष्ठों के प्रभारी भी। वैसे
मिट्टी की गुल्लक में समायी इक्कीस कहानियाँ इर्द-गिर्द घूमती हैं, एक बच्ची के, जिसका नाम मुन्नी है। ये कहानियाँ आरंभ होती हैं घर में एक लड़की के जन्म से उपजी निराशा से और फिर उसी मुन्नी का गाँव से शहर आ अपनी पढ़ाई से खुद को शशक्त बनाना। इन कहानियों की न
अल्हड़ जी अपने भावों को बहुत ही सहजता ही सहजताके साथ, सरल भाषा में, छंदों में इस प्रकार ढाल देते हैं कि वह आपके मन के सरोवर में पहुंचकर कब उसे सुवासित करने लगे इसका पता स्वयं आपको भी नहीं लगा पाता। कविता उनके लिए मंच पर की जाने वाली प्रार्थना है। उ
Vyavsaye Mein Prabandhan Gunwatta Ke 76 Mantra Read more
Swatantra Patrakarita Read more
सूचना तंत्र का दायरा बढ़ रहा है। जिसमें समाचार-पत्रों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। समाचार-पत्र निकालना जोखिम-भरा काम है। लेकिन बदलते दौर में यह काम काफी आसान हो गया है। नित नए समाचार-पत्रों का प्रकाशन हो रहा है। समाचार-पत्र पंजीकरण के लिए उसके प्रक
Film Reporting Kaise Kare Read more
आज के मानसिक तनावों से और व्यक्तिगत समस्याओं से त्रस्त जीवन में हास्य रस की कविताएं जनता के स्वास्थ्य को जितना संबल दे रही हैं, उतना कोई टॉनिक नहीं दे रहा इसलिए हिंदी के हास्य कवियों की जनता को सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसे कवि की चर्चा जब आती
जाति पर आधारित आरक्षण ने गरीबों और वंचितों का सबसे अधिक नुकसान किया है। आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को आरक्षण से क्या मिलता हैं? सिर्फ नौकरियां! 5-7 हजार लोगों के मुंह में सरकारी नौकरियों की चूसनी (लॉलीपॉप) रखकर देश के 70 करोड़ से ज्यादा वंचितों के म
Hansa Hansa Ke Maroonga Read more
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