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लोक संघर्ष पत्रिका

20 दिसम्बर 2015

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देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फाँसी की !

20 दिसम्बर 2015
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!  भगत सिंह, इस बार न लेना काया भारतवासी की, देशभक्ति के लिए आज भी, सज़ा मिलेगी फांसी की -शंकर शैलेन्द्र ने आजादी के बाद यह कविता लिखकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया था। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम माफी मांगकर अण्डमान की सेल्यूलर जेल से छूटने वाले सावरकर के नाम पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने कर दि

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देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फाँसी की !

20 दिसम्बर 2015
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!  भगत सिंह, इस बार न लेना काया भारतवासी की, देशभक्ति के लिए आज भी, सज़ा मिलेगी फांसी की -शंकर शैलेन्द्र ने आजादी के बाद यह कविता लिखकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया था। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम माफी मांगकर अण्डमान की सेल्यूलर जेल से छूटने वाले सावरकर के नाम पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने कर दि

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एक चमन के दो फूल

20 दिसम्बर 2015
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!14-15 अगस्त 1947 में साम्राज्यवादी शक्तियांे ने एक चमन में लगे दो फूलों को अलग-अलग कर दिया था और भारत-पाकिस्तान बना दिए थे। विभाजन से पहले दोनों धर्मों के कट्टरवादी तबके आन्दोलन चला रहे थे कि दोनों धर्म के मानने वाले लोग एक साथ नहीं रह सकते हैं और धर्म के आधार पर भारत और पाकिस्तान बना। एक धर्म होने

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