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देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फाँसी की !

20 दिसम्बर 2015

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article-image  भगत सिंह, इस बारलेना काया भारतवासी की, देशभक्ति के लिए आज भी, सज़ा मिलेगी फांसी की -शंकर शैलेन्द्र ने आजादी के बाद यह कविता लिखकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया था। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम माफी मांगकर अण्डमान की सेल्यूलर जेल से छूटने वाले सावरकर के नाम पर अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने कर दिया था और पंजाब विधानसभा ने एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह रखने का प्रस्ताव भी पारित किया था किन्तु उसको धता बताकर मंगलसेन के नाम पर रखने का प्रस्ताव है। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी अपने आजादी की लड़ाई शामिल न होने के कारण उसके पास कोई महापुरूष नहीं है लेकिन नये-नये महापुरूष पैदा कर वह एक छदम्य महिमामंडित करने का काम कर रही है।

                                                         चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम फौरी तौर पर चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट रख दिया गया हो लेकिन नाम को लेकर सियासी खींचतान अब भी जारी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रचारक और भाजपा नेता मंगलसेन के नाम पर एयरपोर्ट का नाम रखे जाने का प्रस्ताव रखा है.

                               जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे डॉ.चमन लाल का कहना है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह से मंगलसेन की तुलना करने का मतलब ही आजादी के तमाम आंदोलनों को अपमानित करना है। चमनलाल के अनुसार किसी भी राज्य के एयरपोर्ट का नाम उस राज्य के सबसे बड़े हीरो के नाम पर रखा जाता है। इसी के मद्देनजर पंजाब सरकार ने शहीद भगत सिंह के नाम पर मोहर लगाई थी                                

                       शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा, को जिस तरह तरीके से अपमानित करने का काम इस देश के अंदर संघ कर रहा है वह भी अपने आप में एक बड़ी बेमिसाल बात है। आजादी के अभी 68 साल भी नहीं पूरे हुए हैं और इतिहास को धूमिल करने का काम बड़ी तेजी से नागपुर मुख्यालय कर रहा है। इस तरह से उसके यह खतरनाक मंसूबे जगजाहिर होने लगे हैं। देश भक्ति --राष्ट्र भक्तिका प्रमाण पत्र जारी करने का कार्य ब्रिटिश सरकार के चेलो के पास है.

 -रणधीर सिंह सुमन

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देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फाँसी की !

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एक चमन के दो फूल

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!14-15 अगस्त 1947 में साम्राज्यवादी शक्तियांे ने एक चमन में लगे दो फूलों को अलग-अलग कर दिया था और भारत-पाकिस्तान बना दिए थे। विभाजन से पहले दोनों धर्मों के कट्टरवादी तबके आन्दोलन चला रहे थे कि दोनों धर्म के मानने वाले लोग एक साथ नहीं रह सकते हैं और धर्म के आधार पर भारत और पाकिस्तान बना। एक धर्म होने

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लोक संघर्ष पत्रिका

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