आज हम एक मा की दर्द भरी कहानी को अपनी आर्टिकल में लिख रहा हूं। यह एक सच्ची घटना है ।
बात वर्ष 2017 की है । उस समय नया नया LED लाइट गांव में आया। ब्लॉक में उजाला नाम के LED Light आधार कार्ड से मिल रहा था । दो साल का गारंटी भी था। हम सोचे की क्यों ना लाइट का काम किया जाए। हमने दुकानें बनवा ली , दिल्ली से सामान भी आ गया। हम उस समय कोचिंग सेंटर चलाते थे। मेरे पास टाइम नहीं था कि हम लाइट को बनाते और सेल करते। किसी तरह बना भी लेते तो बेचने मे समस्या होती थी। हमने कुछ लड़को को काम पर रख लिया । कुछ लड़के लाइट बनाते तो कुछ मार्केटिंग करते थे। तेज नाम के लड़के को हम मार्केटिंग में भेजते थे। उसका पूरा नाम तेज़बहादुर शर्मा था। वह असल में तेज भी था , और मजाकिया मिजाज का था।उसको एक लड़की से प्यार हो गई थी। जब हमको बताया कि सर हम एक लड़की को पसंद करते है और उसी से शादी भी करेंगे। हम तो कुछ देर के लिए सोच में पड़ गए। इतना सीधा साधा लड़का से कौन मूर्ख लड़की प्यार कर बैठी । खैर प्यार तो अंधा होता है हो सकता है ।
होगी कोई लड़की लेकिन हम उस समय दंग रह गए जब हमको मालूम हुआ कि यह एक तरफा प्यार है। वह उसके लिए हमेशा पागल रहता था। वह रोज बाइक से पताही चला जाता और उस लड़की के घर को देख कर वापस आ जाता था। वाहा से आता था तो काफी खुश रहता था। हमेशा उसकी ख्यालों मे डूबा रहता था। उस लड़के से वह लड़की कभी बात भी नहीं कि थी और ना ही जानती थी। वह उस लड़की को देख कर ही प्यार कर बैठा। वह आपनी दुनिया में काफी खुश था। हम जो पैसा देते थे उस पैसे से वह अपनी मा के आंख का ऑपरेशन करवाया । एक दिन उसके बड़े भाई बोले तेज तुम कब तक गाव मे काम करेगा । शहर में चलो वाहा तनख्वाह अच्छी मिलेगी। वह मुझसे बोला कि सर हम नहीं जाएंगे। लेकिन किसी तरह तैयार हो गया सब कोई ट्रेन से गुजरात जा रहे थे ।अचानक वह अहमदाबाद स्टेशन से लापता हो गया और आज तक उसका कोई पता नहीं चला । उसकी बूढ़ी मा आज भी उस लड़के के याद में तरप्ती है और बोलती है कि आज हमर तेज बबुआ रहते ता हमर दुनो आंख ठीक हो जाइत
ग़रीबी के कारण उसका बहुत बुरा हाल है एक तो उसके पति बहुत बरसो पहले ही छोड़ कर चले गए और एक लड़का था वों भी ना जाने कहा चला गया। एक बार की बात है कि हम उसके घर चले गए हमको देख रोने लगी बोली बबुआ तू कहा चल गइल रहला ह छोड़ के हमरा आंख के ऑपरेशन करा देता हमर आंख ठीक हो ....
आज भी वह लड़का लापता है जिसकी इंतेज़ार मे बूढ़ी मा आज भी बोलती है मेरा तेज आएगा और बहुत बड़ा आदमी बनेगा। मां तो मां होती है वह अपने बच्चो के लिए सब कुछ सहन करती है।
लेखक :- प्रमोद कुमार, मोतिहारी (बिहार)