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मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध कहानियाँ

मन्नू भंडारी

12 अध्याय
1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
14 पाठक
7 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

मन्नू भंडारी हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय , उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। मन्नू भंडारी और कृष्णा सोबती की पीढी ने अपने स्त्री होने के अंतरिम अनुभवों को बांटा नारीवाद स्त्री को वस्तु से व्यक्ति बनाने की जद्दोजहद का परिणाम है । 

mannu bhandari ki prasiddh kahaniyan

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पुस्तक के भाग

1

यही सच है

4 मई 2022
3
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1. कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ। घंटा भर हो गया यहाँ खड़े-खड़े और संज

2

अकेली

4 मई 2022
0
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सोमा बुआ बुढ़िया है। सोमा बुआ परित्यक्ता है। सोमा बुआ अकेली है। सोमा बुआ का जवान बेटा क्या जाता रहा, उनकी जवानी चली गयी। पति को पुत्र-वियोग का ऐसा सदमा लगा कि व पत्नी, घर-बार तजकर तीरथवासी हुए और प

3

एक प्लेट सै़लाब

4 मई 2022
1
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मई की साँझ! साढ़े छह बजे हैं। कुछ देर पहले जो धूप चारों ओर फैली पड़ी थी, अब फीकी पड़कर इमारतों की छतों पर सिमटकर आयी है, मानो निरन्तर समाप्त होते अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए उसने कसकर कगारों क

4

सयानी बुआ

4 मई 2022
0
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सब पर मानो बुआजी का व्यक्तित्व हावी है। सारा काम वहाँ इतनी व्यवस्था से होता जैसे सब मशीनें हों, जो कायदे में बँधीं, बिना रुकावट अपना काम किए चली जा रही हैं। ठीक पाँच बजे सब लोग उठ जाते, फिर एक घंटा बा

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स्त्री सुबोधिनी

4 मई 2022
1
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प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन उस उम्र तक आते-आते जिन स्थितियों स

6

त्रिशंकु

4 मई 2022
1
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“घर की चहारदीवारी आदमी को सुरक्षा देती है, पर साथ ही उसे एक सीमा में बाँधती भी है। स्कूल-कॉलेज जहाँ व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास करते हैं, वहीं नियम-कायदे और अनुशासन के नाम पर उसके व्यक्त्वि को कुठित

7

ईसा के घर इंसान

4 मई 2022
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फाटक के ठीक सामने जेल था। बरामदे में लेटी मिसेज़ शुक्ला की शून्य नज़रें जेल की ऊँची-ऊँची दीवारों पर टिकी थीं। मैंने हाथ की किताबें कुर्सी पर पटकते हुए कहा “कहिए, कैसी तबीयत रही आज?” एक धीमी-सी मुस्क

8

मुक्ति

4 मई 2022
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.... और अंततः ब्रह्म मुहूर्त में बाबू ने अपनी आखिरी साँस ली। वैसे पिछले आठ-दस दिन से डॉक्टर सक्सेना परिवार वालों से बराबर यही कह रहे थे --“प्रार्थना कीजिए ईश्वर से कि वह अब इन्हें उठा ले...वरना एक बार

9

रजनी

4 मई 2022
1
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(मध्यवर्गीय परिवार के फ़्लैट का एक कमरा। एक महिला रसोई में व्यस्त है। घंटी बजती है। बाई दरवाज़ा खोलती है। रजनी का प्रवेश।) रजनी: लीला बेन कहाँ हो...बाज़ार नहीं चलना क्या? लीला: (रसोई में से हाथ पोंछ

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मैं हार गई

4 मई 2022
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जब कवि-सम्मेलन समाप्त हुआ तो सारा हॉल हँसी-कहकहों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था। शायद मैं ही एक ऐसी थी, जिसका रोम-रोम क्रोध से जल रहा था। उस सम्मेलन की अंतिम कविता थी—‘बेटे का भविष्य’। उसका सार

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एक कहानी यह भी

4 मई 2022
1
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जन्मी तो मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में थी, लेकिन मेरी यादों का सिलसिला शुरू होता है अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के उस दो-मंज़िला मकान से, जिसकी ऊपरी मंज़िल में पिताजी का साम्राज्य था, जहाँ वे निहायत

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कितने कमलेश्वर !

4 मई 2022
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कमलेश्वर जी से मेरी पहली मुलाकात 1957 में इलाहाबाद में प्रगतिशील लेखक संघ के एक बड़े आयोजन में हुई थी। मैं तब कलकत्ता में रहती थी और लेखन में बस कदम ही रखा था। राजकमल प्रकाशन से मेरा एक कहानी संग्रह छ

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