अब भाषा भारत की हिंदी, ऐसी है अलबेली ।ज्यों घन घुमड़े, करे दामिनी घटा मध्य अठखेली ।।आज परिष्कृत शुभ्र सुन्दरी, हो गई हिन्दी भाषा ।कवि, लेखकों, विद्वानों की मिटती ज्ञान पिपासा ।।विकसित हुई आज ये हिन्दी, सब बाधाएँ झेलीं ।अनुपमेय लगती जैसे, अभिसारिका नई नवेली ।।अब भाषा भारत की हिंदी, ऐसी है अलबेली ।ज्यो