जो बड़ा बना,
वह गया।
कली से खिलकर फूल बनकर
बिखर गया।
कोपलों से खिलकर बन पत्ता
बिखर गया।
नन्हा सा पौधा बनकर पेड़,
वह भी कट गया।
गिरी जो बर्फ पहाड़ो को
ढकने के लिए वह भी बह गई।
जमीन से उठी पार्टी ने
आसमान चूमने के कोशिश किया।
वह भी सिमट गईं इस जहां
मे।
गरीबी से उठकर अमीरों को
जानने की कोशिश किया,
हो हताश ज़िंदगी से मौत को
गले लगा लिया।
खेलकर बचपन जवाना हो गया,
देख बुढ़ापा मानव भी गया।
रौद्र रूप धरा बादलो ने वह
भी पानी की तरह बह गये।
उठे तूफान-बवंडर सागर को झकझोरते हुए दफन हो गये।