मेरा उद्देश्य
“मेरा उद्देश्य आप समस्त सत्यान्वेषी भगवद् जिज्ञासुजन को दोष रहित, सत्य प्रधान, उन्मुक्तता और अमरता से युक्त सर्वोत्तम जीवन विधान से जोड़ते-गुजारते हुये लोक एवं परलोक दोनो जीवन को भरा-पूरा सन्तोषप्रद खुशहाल बनाना और बनाये रखते हुये धर्म-धर्मात्मा-धरती रक्षार्थ जिसके लिये साक्षात् परमप्रभु- परमेश्वर-खुदा-गॉड-भगवान अपना परमधाम (बिहिश्त-पैराडाइज) छोड़कर भू-मण्डल पर आते हैं, आये भी हैं, में लगना-लगाना-लगाये रखना है । माध्यम और पूर्णतया मालिकान तत्त्वज्ञान रूप भगवद्ज्ञान वाले खुदा-गॉड-भगवान का ही होगा-रहेगा।किसी को भी पूरे भू-मण्डल पर ही इस परम पुनीत भगवत् कार्य, जिसका माध्यम और मालिक भी साक्षात् खुदा-गॉड-भगवान ही हों, में जुड़ने -लगने -लगाने-लगाये रखने में जरा भी हिचक नहीं होनी चाहिये । खुशहाली और प्रसन्नता के साथ यथाशीघ्र लग-लगाकर ऐसे परमशुभ अवसर का परमलाभ लेने में क्यों न प्रति स्पर्धात्मक रूप में अग्रसर हुआ जाय ? न कोई जादू, न कोई टोना- न कोई मन्त्र, न कोई तन्त्र । सब कुछ ही भगवत् कृपा रूप तत्त्वज्ञान रूप सत्य ज्ञान के माध्यम से । वेद-उपनिषद्-रामायण-गीता- पुराण-बाइबिल- कुर्आन- गुरुग्रन्थ साहब आदि-आदि सद्ग्रन्थीय सत्प्रमाणों द्वारा समर्थित और स्वीकृत विधानों से ही कार्यक्रम चल-चला रहा है और चलता भी रहेगा। मनमाना कुछ भी नहीं।”
सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस