गुरू की महिमा गुरू के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना कम है , गुरू की महिमा के लिए शब्द प्रयाप्य नहीं ।गुरू को ईश्वर का दर्जा दिया गया है।तभी तो कहा गया --गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु
I still remember, My first teacher ,Mr. Ravi ranjan कुछ अलग बात थी उनकी ,साइकिल उनकी सवारी थी ,और बातें उनकी निराली थी ,शब्द , अक्षर , संख्या और अल्फाबेट, का पहला ज्ञान उनसे ही मिला था
मेरी माँमाँ, तुम मेरी पहली शिक्षक हो, जीवन का पहला पाठ पढ़ाया, प्यार से भरी वो आँखें तुम्हारी, हर मुश्किल में राह दिखाया।तुमने सिखाया सच्चाई का मोल, सपनों
गुरु थे प्रथम, जिन्होंने ज्ञान का प्रकाश बिखेरा, बचपन के अंधेरों में, स्वप्नों का दीप उजागर किया। शब्दों की वीथियों में, उन्होंने मार्ग दिखलाया, मति की अज्ञात भूमि पर,
मेरे जीवन के पहले शिक्षक मेरे माता-पिता हैं। जिन्होंने मुझे जीवन जीने के लिए वह सब सिखाया, जो भी कुछ जरूरी हैं।वास्तव में हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता हीं होते हैं। क्योंकि जब एक छोटा सा ब
मेरे जीवन मेरे पहले शिक्षक का बहुत खास स्थान है। क्यूंकि मेरे पहले शिक्षक मेरी मां है। उन्होंने मुझे शब्द दिए, बोलने का ज्ञान दिया। सबसे बड़ी बात जीवन दान दिया। पापा फॉरेस्ट विभाग में कार्यरत थे। इस