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मेरे जीवन के पहले शिक्षक।

4 सितम्बर 2024

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मेरे जीवन के पहले शिक्षक मेरे माता-पिता हैं। जिन्होंने मुझे जीवन जीने के लिए वह सब सिखाया, जो भी कुछ जरूरी हैं।

वास्तव में हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता हीं होते हैं। क्योंकि जब एक छोटा सा बच्चा इस बड़ी सी दुनिया में आता हैं, तब वह इस दुनिया से बिल्कुल अनजान अनभिज्ञ रहता हैं और उस छोटे बच्चों को ये भी नहीं पता कि कब क्या और कैसे करना हैं। 

वह छोटा बालक जीवन के हर विषय से इतना अबोध रहता हैं कि उसे ये भी नहीं पता कि उसे अपना मल मूत्र कहां त्यागना हैं। उसका जहां मन किया, वहां वह सब करता रहता हैं। लेकिन ऐसे अबोध बालक को भी उसके माता-पिता संभालते हैं, प्यार करते हैं और उसे जीवन की हर वह छोटी बड़ी सीख देते हैं जो उसके जीवन निर्वाह करने के लिए आवश्यक हैं।

माताजी बच्चों को प्राथमिक ज्ञान अर्थात घर के अंदर की महत्वपूर्ण बातें बताती हैं और पिताजी बच्चों को द्वितीयक ज्ञान अर्थात घर के बाहर की चीजों से रूबरू कराते हैं। माता-पिता द्वारा दिया गया यह ज्ञान ही बच्चे के जीवन का आधार बनता हैं।जिससे वह अपने जीवन में हर पल सफल होता हैं और अनेक ऊंचाइयों को छूता हैं।

मेरे जीवन के पहले शिक्षक,
मेरे प्यारे माता-पिता हैं, 
जिनसे मैंने वो सब सीखा, 
जो जीवन में रचा बसा हैं,
उंगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया, 
गोद में उठाकर मुझे आसमान दिखाया,
नभ सी ऊंचाई छूनी हैं, मुझको प्यार से दोनों ने बताया,
लड़ सकूं मैं हर मुश्किल से, मुझको इतना शक्तिशाली बनाया, माता-पिता से अच्छा ना कोई, 
इस दुनिया में सबसे अच्छे वो हीं,,।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏 शिक्षक दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं 💐😊🙏 कृपया होम पेज पर मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां पढ़कर सभी भागों पर अपना लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 😊😊🙏

5 सितम्बर 2024

rachna

rachna

बहुत सुन्दर प्रस्तुति और उत्कृष्ट लेखन शैली हैं आपकी

4 सितम्बर 2024

Yash

Yash

Very nice 👍

4 सितम्बर 2024

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रचनाएँ
दैनिक दैनंदिनी (सितम्बर-2024)
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