मेरी माँ
माँ, तुम मेरी पहली शिक्षक हो,
जीवन का पहला पाठ पढ़ाया,
प्यार से भरी वो आँखें तुम्हारी,
हर मुश्किल में राह दिखाया।
तुमने सिखाया सच्चाई का मोल,
सपनों को बुन,ऊँचाई का गोल,
तुम्हारे आशीर्वाद की छांव में,
हर संघर्ष आसां हो तेरे पांव में
तुम ममता की छवि अनमोल,
हर बात में छुपा है मधु घोल ,
तुमने सिखाए छोटे-छोटे पाठ,
बन गए जीवन की वे सौगात।
तुमसे सीखा मैंने अनुशासन,
तुमसे ही पाया जीने का दर्शन,
माँ, आप मेरी गुरु, मेरी प्रेरणा,
तुम्हारे बिना अधूरी है ये एषणा।
धन्यवाद माँ,उस प्रेम के लिए,
जो आपने बिना शर्त है दिए,
तुम्हारी शिक्षा की ज्योति से,
हर अंधेरा मन का मिट गया
स्वरचित डॉ विजय लक्ष्मी