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मेरी डायरी आत्ममंथन मार्च माह 2022भाग 6

9 मार्च 2022

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6/3/2022

मेरी डायरी आज मैं बहुत ही रोचक और रहस्यमई बर्फीली गुफाएं विषय पर लिखने की सोच रही हूं। मैंने एक कविता और एक लेख इस विषय पर लिखा है मेरी रचनाओं को सबने पढ़ा और उसकी सराहना भी की मैं सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करतीं हूं।
भारत में अनेकों बर्फीली गुफाएं हैं जो हिमालय पर्वत के आसपास हैं पर हमें उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बाबा अमरनाथ की गुफा के विषय में हम सभी जानते हैं। उस गुफा के इतिहास के बारे में सभी जानते हैं जहां शिव जी ने माता पार्वती जी को जीवन दर्शन के रहस्यों के विषय में बताया था।इसे जामवंत की गुफा भी कहते हैं।
आज मैं तुम से प्राकृतिक गुफाओं के विषय पर चर्चा नहीं करूंगी बल्कि जो रहस्यमई बर्फीली गुफाएं हमारे मन-मस्तिष्क में हैं मैं उनके विषय पर कुछ अपने मन के उदगारों को व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं।
हर व्यक्ति के मन मस्तिष्क की गुफाओं में हजारों रहस्य बन्द होते हैं। जिन्हें उनके अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं जान सकता।
व्यक्ति के मन की गुफाओं के वे अनकहे रहस्य यदि सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होंगे तो वह उस व्यक्ति के साथ साथ दूसरों के लिए भी ऊर्जा संचालक का कार्य करेंगे। क्योंकि मन अपने मन के रहस्यों को उजागर भले ही न करे लेकिन वह स्वयं किसी न किसी रूप में बाहर आ ही जाते हैं।
ऐसा मेरा मानना है जैसे अगर किसी व्यक्ति के मन में प्रेम त्याग सद्भावना और परोपकार की भावना विद्यमान है तो वह किसी से कहता नहीं है बल्कि उसकी कार्यप्रणाली और उसका व्यवहार उस भावना को अपने आप व्यक्त कर देता है।
इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण है तो उसकी कार्यप्रणाली वैसी ही होगी वह हमेशा निराशा भरी बातें करेगा। यदि किसी व्यक्ति के मनोभाव दूषित हैं तो उस में ईर्ष्या, घृणा, क्रोध,लालच स्वार्थपरता  रहेंगी और वह भावना उसकी बातों और व्यवहार से हमें पता चल जाएगी।
कहने का तात्पर्य यह है कि, मनुष्य स्वयं एक रहस्यमय बर्फीली गुफा है जिसके अंदर ना जाने कितने बर्फीले तूफान छिपे हुए हैं वह खुद नहीं जानता या जानना चाहता ही नहीं।
जिस दिन व्यक्ति स्वयं अपने आपको जान जाएगा उसे और कुछ भी जानने की जरूरत नहीं होगी क्योंंकि मनुष्य स्वयं ज्ञान, त्याग, करूणा, परोपकार का भंडार है, लेकिन जब वह इनका प्रयोग ग़लत तरीके से करने लगता है तो यही अच्छाईयां बुराई बनकर उभरती है जो घर परिवार,समाज,देश और स्वयं उस व्यक्ति के लिए भी घातक सिद्ध होती है।
हम न चाहते हुए भी  अपने मन के उदगारों को व्यक्त करते हैं उन्हें व्यक्त करने के लिए हम शब्दों का सहारा लेते हैं हम जैसे शब्दों का प्रयोग करेंगे वहीं शब्द हमारे मन के रहस्यों को उजागर करने में सहायक सिद्ध होते हैं।जो आपको समाज में प्रतिष्ठा भी दिला सकतें हैं और वहीं आपके परेशानी का सबब भी बन सकते हैं।
आज इतना ही कल फिर तुमसे मिलतीं हूं।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
6/3/2022


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रचनाएँ
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