9/3/2022
मेरी डायरी आज मैं फिर देर से आई क्या करूं कुछ लोगों के आगमन के कारण ऐसा हो रहा है।
आज मैं बहुत खुश हूंं क्योंकि आज मेरे उपन्यास टूटा गुरुर को पुरस्कृत किया गया हैजो स्त्री विशेष पर आधारित है मेरी कहानी को भी 10वां, स्थान दिया गया है। इसके लिए मैं प्रतिलिपि टीम का तहेदिल से धन्यवाद ज्ञापित करतीं हूं।
आज मैंने सात समंदर पार विषय पर रचना लिखी उसी विषय पर तुमसे चर्चा भी करूंगी
मैंने आज दो कविताएं और एक कहानी लिखी है।
आज मैं तुमसे सात समंदर पार की चकाचौंध पर कुछ चर्चा करूंगी।लोग विदेशी चकाचौंध को ज्यादा पसंद करने लगे हैं पर मैं अपनी बात करूं तो मुझे अपने देश का प्राकृतिक सौंदर्य अपनी तरफ़ ज्यादा आकर्षित करता है मुझे विदेशी वस्तुओं का कोई चाव नहीं है।
मुझे अपना देश ही अच्छा लगता है पर यहां का भ्रष्टाचार और गन्दी राजनीति मुझे पसंद नहीं है और सभी कुछ बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है। मैंने अभी तक अपने भारत के कुछ ही शहरों को देखा है पर अगर मुझे मौका मिला तो मैं पूरे भारत का भ्रमण करना चाहूंगी विशेष कर कन्याकुमारी और उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों का मुझे उत्तराखण्ड को देखने की बहुत इच्छा है और कन्याकुमारी का उगता और अस्त होता हुआ सूर्य का दर्शन करने की तमन्ना है देखो कब पूरी होती है।
विदेश में मेरे कई रिश्तेदार रहते हैं पर मुझे वहां जाने का मन ही नहीं करता अब तुम कहोगी कि जो अपने देश में ही नहीं घूम रहा है वह विदेश क्या जाएगा जब जाने को मिल नहीं रहा है तो कह दो अंगूर खट्टे हैं।
मेरे बेटे को भी अपने देश से ही प्यार है वह चाहता तो अमेरिका जा सकता था पर वह नहीं गया यहीं हमारे पास ही है वह तो अपनी बैंगलूरू की नौकरी छोड़कर आ गया इलाहाबाद एजी ऑफिस इसलिए कह रहीं हूं।
ऐसा नहीं है सच में मुझे और मेरे बेटे को अपने देश को ही देखने की लालसा है।आज इतना ही कल कुछ और बातें करूंगी।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
9/3/2022