7/3/2021
मेरी डायरी अब इतने दिनों बाद तुम मेरी पक्की सहेली बन गई हो मैं अपने मन की बात बेझिझक तुमसे कह देती हूं।पर कभी कभी सोचती हूं कि, क्या अपने मन के उदगारों को व्यक्त करना उचित है। क्योंकि कभी कभी जब हम अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करते हैं तो कुछ लोगों को वह पसंद नहीं आता उन्हें लगता है कि, लोग अपने ज्ञान की नुमाइश कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है, मैं यहां लोगों की डायरियां पढ़ती हूं तो उनके विचारों को जानकर बहुत खुशी होती है क्योंकि उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है जो हम सोचते हो वही सही हो यह जरूरी नहीं होता इसलिए हमें दूसरों के विचारों पर भी गौर करना चाहिए। दूसरों के विचारों को पढ़कर कभी कभी कुछ ऐसी बातें पता चलतीं हैं जिससे पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है अगर कोई हमें अपने जीवन की घटी किसी ऐसे घटना के विषय में बताता है जिसके बाद उसके जीवन में तूफ़ान आ गया तो हमें उन बातों पर विश्वास करना चाहिए और वैसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे हमारे जीवन में भी वही भूचाल आ जाए। क्योंकि कुछ काम ऐसे होते हैं वह जब भी किए जाए उनसे जीवन में समस्याएं ही उत्पन्न होती हैं।
इसलिए मेरा मानना है कि, कोई अगर कुछ शिक्षाप्रद बातें बता रहा है तो उसे ग्रहण करने में कोई हर्ज नहीं है उससे हम छोटे नहीं हो जाएगे या हमारा ज्ञान कम नहीं हो जाएगा। जैसे कोई कहता है कि, गिलास आधा खाली है और दूसरा कहता है गिलास आधा भरा हुआ है दोनों ही बातें सही हैं। लेकिन इस बात को लेकर बहस करना कि हम ही सही हैं मूर्खता होती है। दूसरी बात अगर कोई कुछ बता रहा है तो उसकी बात को सिरे से ही नकार देना उचित नहीं है कोई ज़रूरी नहीं जो घटना उसके साथ घटी है वह अगर तुम्हारे साथ नहीं घटी तो वह किसी के साथ नहीं घट सकती ऐसा सोचना आपकी छोटी सोच को दर्शाता है। क्योंकि इस दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है।
अंत में मैं इतना ही कहूंगी कि, हमें दूसरों की बातों पर अमल करना चाहिए और अगर वह बात उचित है तो उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए।
आज इतना ही,
आज तुमसे मैं जल्दी मिलने आ गई हूं मुझे कुछ काम है इसलिए रात देर से लौटूंगी कल फिर मिलती हूं।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
7/3/2022