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मेरी डायरी आत्ममंथन मार्च माह 2022 भाग 15

17 मार्च 2022

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15/3/2022

मेरी डायरी आज मैं समय से पहले आ गई इधर हर दिन देर से मिलने आती हूं तो तुम नाराज़ रहती हो इसलिए आज मैंने सोचा कि, तुम्हारी नाराजगी दूर कर दूं।
आज मैंने  क्रूज़ पर एक लेख पढ़ा जो प्रतिलिपि एप पर है कुछ और रचनाएं पढ़  सब क्रुज पर ही थीं सभी ने बहुत अच्छी रचनाएं लिखीं हैं मैंने पढ़ी और यथा संभव समीक्षा भी की यहां और शब्द इन पर सभी बहुत अच्छा लेखन कार्य करते हैं मैं बहुत कुछ सीखने की कोशिश कर रहीं हूं।
आज मैं तुमसे क्रूज या कहूं जीवन क्रूज़ के विषय पर बात करूंगी।
मेरी डायरी मैं कभी क्रूज़ मेंं नहीं बैठी नाव और स्टीमर पर बैठी हूं इसलिए मैं क्रूज़ के विषय पर कुछ नहीं बता सकती।
हां मैं जीवन क्रूज़ के विषय पर कुछ चर्चा करूंगी जैसे क्रूज़ समंदर के सीने पर चलता है और लोग उस पर बैठ कर यात्रा का आनंद उठाते हैं।
क्रूज़ पर बैठने वालों को जो खुशी सागर की लहरों को देखकर होती ऊपर नीला आसमान नीचे गहरा सागर बीच में बैठे लोग। कभी कभी सागर की लहरें तूफानी हो जाती है तेज़ हवाओं के वेग को देखकर मन में दहशत और संशय की स्थिति उत्पन्न होने लगती है पर क्रूज़ के ड्राइवर की कुशलता उन तूफानी लहरों के बीच से क्रूज़ को सकुशल तट पर लेकर आ जाता है।
इसी तरह जीवन रूपी सागर पर भावनाओं के अनेकों क्रूज़ चलते रहते हैं अब हमें मन के सागर में उठने वाली लहरों पर कैसे काबू करना है यह हमारी दृढ़संकल्प शक्ति हमारे बताती है जब हम अपनी भावनाओं को अपने नियंत्रण में रखने में कामयाब हो जाते हैं तो जीवन रूपी क्रूज़ भी भावनाओं की ऊंची नीची लहरों में गोते लगाते हुए अपने जीवन रूपी क्रूज़ को अपने कर्मों की पतवार से जीवन की कठिनाइयों से निकाल कर बाहर ले आता है।
यह कार्य मन की दृढ़ता से ही सम्भव हो सकता है जब मनुष्य अपनी भावनाओं को सही दिशा देने में सक्षम होता है तो जीवन पथ पर कितनी ही जटिलताएं क्यों न आएं मनुष्य की आत्मशक्ति उसे सही दिशा की ओर अग्रसर कर ही लेती है।
आज इतना ही कल फ़िर कुछ बातें करूंगी

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
15/3/2022


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रचनाएँ
दैनंदिनीं ( डायरी)
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इस डायरी में मैं अपने उद्गारों और जज़्बातों को संग्रहित करूंगी
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