5/3/2022
मेरी डायरी आज मैं तुम से अपनी कुछ सुनहरी यादों के विषय पर चर्चा करूंगी।आज मैं लाइब्रेरी विषय पर लिखने की सोच रही हूं।
मैंने भी अपने रिसर्च के लिए कई लाइब्रेरियों के चक्कर लगाए थे।पर मुझे सबसे ज्यादा सुविधाएं अमेरिकन इंस्टीट्यूट लाइब्रेरी रामनगर में मिली वह लाइब्रेरी मेरी रिसर्च के लिए सहायक सिद्ध हुई।
उसके बाद मुझे एक और जीती-जागती लाइब्रेरी मिली जो ज्ञान का भंडार है मेरे साथ कालेज में पढ़ाने वाली प्रवक्ता डॉ प्रज्ञा मिश्रा वह कालेज में परमानेंट एसोसिएट प्रोफेसर हैं मेरे ही विषय में उन्होंने मुझे रिसर्च में बहुत सहयोग दिया। संयुक्त परिवार में रहने के कारण मुझे घर से निकलने का ज्यादा समय नहीं मिलता था। लेकिन प्रज्ञा दीदी ने मेरी बहुत सहायता की आज मैं वहां पढ़ाती नहीं हूं मेरा केस चल रहा है पर उनका स्नेह आज भी मुझ पर बना हुआ है।अब मैं घर पर रहकर लेखन का कार्य करतीं हूं मुझे इसी में ख़ुशी मिल जाती है।
मेरे घर में भी मैंने अपनी छोटी सी लाइब्रेरी बनाई हुई है। उसमें मेरे विषय से संबंधित और कुछ धार्मिक ग्रंथ जयशंकर प्रसाद महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद जी की कुछ किताबें हैं उसके अतिरिक्त ,शिव पुराण, गीता, रामायण महाभारत, रामचरितमानस भी मेरी लाइब्रेरी में मौजूद हैं।
मैं पत्र पत्रिकाएं भी लेती हूं।आज मैंने प्रतिलिपि पर अनुराधा जी, रजनी जी, आशा जी,रावत जी, योगेन्द्र जी अतुल जी,ओ श्री जी,प्रशांत,जी,घायल जी, शैली जी, श्वेता जी, भावना जी, ललिता जी, शीला जी शीलम जी की रचनाएं पढी सभी ने बहुत ही उत्कृष्ट रचनाएं लिखी हैं। मैंने भी इस विषय पर दो रचनाएं लिखी है।
अच्छी और ज्ञानवर्धक किताबों को पढ़ने के बाद हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमें यह पता चलता है कि अभी तो हमें कुछ भी ज्ञान नहीं है अभी तो बहुत कुछ जानना समझना बाकी है। प्रतिलिपि और शब्द इन पर सभी की रचनाओं को पढ़कर लगता है कि, लोगों में कितना ज्ञान भरा हुआ है और उन लोगों की लेखनशैली कितनी उत्कृष्ट है।विद्वत जनो की कविताएं और कहानियां पढ़कर स्वयं की कमियों का ज्ञान होता है और हम उन्हें ठीक करते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि, हमें जीवनपर्यंत ज्ञान अर्जित करते हुए कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए।
आज इतना ही कल फिर मिलेंगे, शुभरात्रि
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
5/3/2022