10/3/2022
मैं आज फिर तुमसे बहुत देर में मिलने आई क्या करूं इधर स्थिति ही ऐसी बन रही है इसलिए देर हो जा रही है आज मेरा बेटा इलाहबाद से आया है तो उसके लिए कुछ विशेष खाने की तैयारी की इसमें पूरा दिन निकल गया वह शाम को आया तो उसमें व्यस्त हो गई 10-30 बजे जब खाली हुई तो कुछ रचनाएं पढ़ी डायरियां पढी समीक्षा भी की सुबह भी कुछ रचनाएं पढ़ी थीं। आज मैं ज्यादा कुछ नहीं लिख सकी एक कविता लिखी प्यार की अभिव्यक्ति सभी ने बहुत सराहना की
आज बारहसिंगा विषय पर तुमसे थोड़ी चर्चा करूंगी।
, बारहसिंगा चंचल सुन्दर प्राणी हिरन की एक प्रजाति है इसकेे सिर पर सिंघे होती हैं।इसकी सुन्दरता देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है।पर लोगों की बर्बता के कारण वह लुप्त होता जा रहा है उसका सौन्दर्य ही उसका दुश्मन बन जाता है।
हम लोगों ने अपने नानी दादी से हिरन हिरनी की कहानियां सुनीं हैं। कहते हैं कि,हिरन की नाभि में कस्तूरी होती जिसे मृग कस्तूरी कहते हैं उसमें एक विशेष गंध होती है।उसी गंध को ढूंढने के लिए हिरन इधर उधर भागता है पर वह उसे कहीं नहीं मिलती। क्योंकि जिसे वह बाहर ढूंढता है वह तो उसके अंदर ही है पर अपनी इस विशेषता को वह जान नहीं पाता हिरन के अंदर की कस्तूरी को पाने के लिए लोग उसे मार देते।
जिस प्रकार कस्तूरी हिरन के अंदर ही होती है और वह उसको बाहर तलाशता फिरता है।उसी प्रकार मनुष्य अपने अन्दर के गुणों को नहीं पहचानता और दूसरे के गुणों को अपनाना चाहता है। ऐसा करने से उसके अपने अंदर के गुण समाप्त हो जाते हैं।
कहते हैं कि हिरन अपने अंदर बसी गंध को बाहर ढूंढ़ने में इतना व्यस्त रहता है कि, उसे यह समझ नहीं आता की गंध आ कहां से रहीं है।उस गंध की तलाश करते हुए एक दिन वह अपने प्राण त्याग देता है या मनुष्य उसके प्राण ले लेता है।
इसी तरह मनुष्य अपनी अच्छाइयों को भुलाकर बाहर की झूठी दुनिया में खुशियों की तलाश करता है खुशियां तो उसे नहीं मिलती, बल्कि धूर्त व्यक्ति उसकी अच्छाइयों का इस्तेमाल अपने लिए करते हैं।
यह दुनिया ही ऐसी है जो व्यक्ति अपनी कमजोरियां दूसरों के सम्मुख व्यक्त कर देता है तो उसकी कमजोरी का फ़ायदा अपने लाभ के लिए उठाने वालों की कमी इस दुनिया में नहीं है।
इसलिए व्यक्ति को अपनी और अपने परिवार की कमियों को किसी ग़ैर व्यक्ति के सामने नहीं कहना चाहिए।
आज इतना ही अब मुझे नींद आ रही है कल फिर मिलती हूं।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
10/3/2022