मैं अंश हूँ उनकी ही
उनका ही मुझमें सब है,
वो वजह है मेरे जीवन की
मेरी माँ ही मेरी रब है..।
वो पावन वेद-ग्रंथो सी
वो महान.हृदय कहीं गहरी तम सी
मैं निरंतरता हूँ उनके उपकारों.की
उनका ही मुझमें सब है
वो वजह है मेरी सांसो की
मेरी माँ ही मेरी रब है..।
वो सरल-सहज स्वभाव सी
वो चंचल पवित्र जल धार सी
मैं सौम्यता हूँ उनके व्यवहार की
उनका ही मुझमें सब है
वो वजह है मेरी धड़कनो की
मेरी माँ ही मेरी रब है..।
वो प्रेम पवित्र सुगम मूरत सी
वो निष्ठता मोहक सूरत सी
मैं काया हूँ उनके सौंदर्य की
उनका ही मुझमें सब है
वो वजह है मेरी आत्म की
मेरी माँ ही मेरी रब है..।
वो श्रेष्ठ-गहन भावनाओं सी
वो सुंदर ममता पूर्ण आसमान सी
मैं मर्यादा हूँ उनकी चाहतो की
उनका ही मुझमें सब है
वो वजह है मेरे अस्तित्व की
मेरी माँ ही मेरी रब है..।