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मूंछ के बाल

13 मार्च 2022

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भामा शा जयपुर का एक बहुत बड़ा व्यापारी था ,उसकी अपने जमाने में तूती बोलती थी, वह आदमी भी बहुत अच्छा था उसके बड़ी बड़ी मूछें थी ,वह हमेशा अपनी मूछों को ताव देता रहता था , !!

एक दिन उसकी पत्नी उर्मिला शा को उदयपुर  एक विवाह में जाना था , तो उसने भामा से कुछ धन देने की बात कही ,*"!!

इस समय आसपास के राज्यो में चोरी की संख्या बढ़ गई थी  और उर्मिला विवाह में जाने के साथ साथ घूमना भी चाहती थी तो भामा शा ने कहा *" देख इस समय माहौल ठीक नहीं चल रहा है ,रास्ते में कहीं रुकना तो धर्मशाला में ही रुकना और जहां भी खरीददारी करना मेरे मूंछ के बाल दिखाकर  उनसे हिसाब लिखवा लेना तुझे कोई दाम नही मांगेगा ,"!!

उस ज़माने में मूछों की बात चलती थी लोग मूछों पर  दाव लगाते थे की अमुक काम भी कर सका तो मूंछें मुड़वा देंगे और मूछें मुड़वाने का अर्थ होता था समाज में बहुत बड़ी बेइज्जती होना ,*"!!

उर्मिला भामा के मूंछ का एक बाल एक चांदी की डब्बी में रखकर चल दी ,पूरे रास्ते उन्होंने विवाह में देने के लिए ढेरो समान खरीदे ,कुछ गहने और जवाहरात भी लिए ,और हर जगह अपने पति का नाम बता कर उनकी मूंछ  के बाल दिखाकर वह  पर्ची  कटवा लेती थी ,कहीं किसी ने उसे समान देने से मना नही किया ,*"!!
उर्मिला विहाह का उत्सव पूरा होने के पश्चात वहा से घूमने के इरादे से वह भीलवाड़ा चली गई ,वहां पर एक धर्मशाला में रुकी और शहर के बाजार में घुसी वहां पर फरसान की एक बहुत बड़ी दुकान थी ,जिसके यहां राज परिवार और बड़े धन्ना सेठों के लिए फरसान बनता था और उन्ही को दिया जाता था ,*"!!

उर्मिला भी उस की दुकान में गई और जो फरसान पसंद आया बंधवा लिया और कई लोगो को बाटने के लिए बंधवा लिया , जब दाम देने की बारी आई तो उर्मिला ने उसे अपना परिचय तो पहले ही दे दिया था तभी उसने दुकान में बैठने भी दिया था वरना उसकी दुकान में साधारण लोगो का घुसना ही माना था ,वह राजा और सभी बड़े धन्ना सेठों को समान देता था इस बात का उसे बहुत घमंड भी था , जब उर्मिला ने उस से कहां की मेरे पति के मूंछों  का बाल   है मेरे पास तो वह भड़क कर कहता है *" ,यहां उधारी कारोबार नही होता है , जब पैसे नही थे तो खरीददारी नही करनी चाहिए थी ,हम गरीबी और भिखारियों को तो वैसे भी अंदर आने नही देते हैं ,,*"!!

उसकी इस बात से उर्मिला बहुत आहत हुई , वह तुरंत धर्मशाला पहुंची और अपने पति भामा शा को चिठ्ठी लिखकर पूरी दास्तान भेज दी और अंत में लिख दिया की वह यहां से अपने पति की बेइज्जती सुनकर नही जा सकती है ,*"!!

भामा शा को जब चिट्ठी मिली तो उन्हे भी क्रोध आया और उन्होंने अपने चार आदमियों को ढेर सारे पैसे देकर उन्हें कुछ समझा कर भेज दिया , !!

चारो आदमी सबसे पहले भीलवाड़ा में आकर शहर के सभी अच्छे और बड़े तेल विक्रेताओं से मिल कर उनकी सबसे बढ़िया खाद्य तेल जो राजा के फरसान के लिए उपयोग में आता था उसे अधिक कीमत देकर पूरे सप्ताह का तेल खरीद लिया  कुछ तो अपने पास रख लिए और उन बेस  तेलों को नाले में बहाने  को कहा, व्यापारियों को क्या था उन्हे दुगुना पैसा मिला तो उन्होंने पूरे सप्ताह का तेल बहा दिया , उसी समय राजा ने फरसान वाले को  पांच सौ लोगो के फरसान बनाने का आदेश दे दिया , राजा के लिए हमेशा ताजा तेल लाकर फरसान बनाया जाता था , और एक ही तेल से वह बनता था , फरसान वाले ने नौकर को बाजार से तेल लेने के लिए भेजा पर नौकर थोड़ी ही देर में लौट आया उसने कहा*" मालिक पूरे बाजार में तेल ही नही है ,*"!!

फरसान वाला चक्कर में पड़ गया जब की वह तेल उसके अलावा यहां इस राज्य में  कोई  और खरीद ही नही सकता था ,तो किसने खरीदा ,वह खुद व्यापारियों के पास गया ,  सभी व्यापारियों ने उसे बताया की चार आदमी आए थे वह पूरा तेल खरीद ले गए और बाकी बचा तेल नाले में बहाने को कह दिया ,*"!!
वह विचार में पड़ जाता है की यहां us se बड़ा आदमी कौन आ गया जो पूरा तेल खरीद कर उसे नाले में बहाने के लिए बोल दिया , वह मजबूरी में राजा के पास जाकर खड़ा हो क्षमा मांगने लगा ,*"!!

राजा उसे इस प्रकार विचलित हो क्षमा मांगते देख उसका कारण पूछता है तो वह सारा किस्सा सुनाता है तो राजा अपने सिपाहियों को  भेज कर धर्मशाला से उन चारों आदमियों को बुलवा लेते हैं ,!!

चारो राजा के सामने आकर खड़े हो जाते हैं !!

,रहा उनसे पूछते है,*" तुम लोग कौन हो और इस प्रकार पूरे शहर का तेल खरीदकर उसे नाले में बहाने का क्या कारण हैं ,तो भामा का एक आदमी पूरी दास्तान सुनाता है  राजा भामा शा का नाम सुनते ही और याके मूंछों की बात आने पर वह पूरा माजरा समझ गए उन्होंने उस फरसान व्यापारी से कहा ,*" सबसे पहले तुम धर्मशाला में जाकर भामा की पत्नी से लिखित क्षमा मांगों ,और उसके पश्चात उन्हे जितना भी फरसान चाहिए हमारे राज्य की ओर से उनके घर भिजवाने की व्यवस्था करो। तुमने किसी के मूंछो की बेइज्जती की है ,पूरा मारवाड़ मूंछों की बदौलत चलता है , और तुम ने उसकी कीमत नही समझी ,जाओ और अभी जाकर माफी मांगो ,*"!!
फरसान व्यापारी मारता क्या न करता वह जाकर उर्मिला से लिखित माफी मांगता है ,और उन्हे तुरंत फरसान बन कर देने को कहता है , उसी समय रानी स्वयं आकर उर्मिला को अपने साथ महल में ले जाती है , उर्मिला अपने आदमियों से तेल देने को कहती हैं ,!!

ऐसे होती थी उस समय मूंछों के बाल की कीमत ,*"!!


भारती

भारती

वाह बहुत खूब 👏👏👏👌🏻

13 मार्च 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

13 मार्च 2022

धन्यवाद जी

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मूंछ के बाल
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पुराने जमाने में बड़ी बड़ी मूंछें रखते थे ,और उस मंच की अहमियत होती थी , कई लोग एक मंच के बाल के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते थे ,

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