उदासी भरी है लेकिन , फिर भी ख़ूबसूरत कोई नज्म हैं। तेरी याद में सुनाई है जो अकसर , वों मेरी सबसे बेहतरीन ग़ज़ल हैं। मज़ा तो तब था जब तू सामने था , आजकल जो महफ़िल में गा रहा हूँ मैं , बस वों एक रस्म हैं। ना
नए साल की नई खुशियां लाया है। नव वर्षनई पुरानी यादें लेकर आया है नव वर्ष कुछ लक्ष्य दिखाने हमको , कुछ नई राह बताने हमकोवो खुशियों का पैगाम लाया है।...
मुश्किल ना था यादों को तरो-ताज़ा करना,बैठे-बिठाये खुद का ही खामियाज़ा करना, पहली ही दस्तक पे जो खोल दिया था मैंने,फ़िज़ूल था उसका बंद वो दरवाज़ा करना, रुकता भी तो शायद ना रोकता कभी उसे,वक़्त से चंद लम्हों का क्