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नाम के अपने

22 फरवरी 2016

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जो दिल से कर लिया दूर हमें पर भूल न जाना |

 जिन हाथो ने आशीष दिया,उनका कुछ तो साथ निभाना ||

 क्या पाप था ये उम्मीद रखना, कि अपने हो अपनाओगे |

विचार में न आया ये कभी, घर का कोना देकर अहसान जताओगे ||

बोझ समझ कर जन्म दाता को, अभिमान तुझे जिस धन का है|

 उस धन से तुम्हारा जन्म नहीं ,तेरे जन्म से वो धन जन्मा है ||

तो क्या पाप था ये मन का कुढ़ना,

कि जिसे जन्मा वो मन को दुखाएगा |

विचार में  न आया ये कभी, हमसे पहले धन को प्राथमिकता में लाएगा |

 और मिलते ही साथ एक स्त्री का दूर खड़ा हो जाएगा |

 तो क्या पाप था ये दिल का रोना, कि बुढ़ापे में तो साथ निभाओगे |

 विचार में न आया ये कभी, साथ छोड़ चले जाओगे ||

जो दिल से कर लिया दूर हमें पर भूल न जाना |

जिन हाथो ने आशीष दिया ,उनका कुछ तो साथ निभाना ||

  •  
पुस्तक लेखन प्रतियोगिता - 2023
ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

तेज़-रफ़्तार ज़िन्दगी की आपा-धापी और अपनों के दूर जाने का दर्द...बहुत खूब !

4 मार्च 2016

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