जो दिल से कर लिया दूर हमें पर भूल न जाना |
जिन हाथो ने आशीष दिया,उनका कुछ तो साथ निभाना ||
क्या पाप था ये उम्मीद रखना, कि अपने हो अपनाओगे |
विचार में न आया ये कभी, घर का कोना देकर अहसान जताओगे ||
बोझ समझ कर जन्म दाता को, अभिमान तुझे जिस धन का है|
उस धन से तुम्हारा जन्म नहीं ,तेरे जन्म से वो धन जन्मा है ||
तो क्या पाप था ये मन का कुढ़ना,
कि जिसे जन्मा वो मन को दुखाएगा |
विचार में न आया ये कभी, हमसे पहले धन को प्राथमिकता में लाएगा |
और मिलते ही साथ एक स्त्री का दूर खड़ा हो जाएगा |
तो क्या पाप था ये दिल का रोना, कि बुढ़ापे में तो साथ निभाओगे |
विचार में न आया ये कभी, साथ छोड़ चले जाओगे ||
जो दिल से कर लिया दूर हमें पर भूल न जाना |
जिन हाथो ने आशीष दिया ,उनका कुछ तो साथ निभाना ||