है गरीब जो हम , हमें जुल्म सहना पड़ेगा |
यह कहना है सबका कि
जो गरीबी में जन्म लिया तो चुप तो रहना पड़ेगा ||
बोलने का हक उसे है , जो पैसो में खेलता है |
क्योंकि गरीबी का नाम है इंसान और अमीर देवता है ||
गरीबी की मार आज सब पर जुल्म ढा रही है|
भूख से हर एक आदमी की जान जा रही है ||
पर अमीर आज भगवान को भी पैसो में तोलता है |
बस यह फर्क अमीरी गरीबी के भेद खोलता है||
जो ना उठी आवाज तो सब खत्म हो जायेगा |
भगवान को पूजने तब कौन आएगा |
सब हो गए सियासी, पट्टियाँ आँखों में बांध ली है |
क्यों मर रहा गरीब ! यह जानने की किसको यहाँ पड़ी है||
रौशनी चकाचौंध की, अमीरो की आँखों में छा रही है |
क्या करे वो गरीब रात में भी जिसको नींद सता रही है||