कभी ममता कभी करूणा कभीदया कासागर बनती वो।
कभी हिम्मत कभी ताकत कभी ललकार बनती वो।
कभी दर्गा कभी लक्ष्मी कभी बरदान बनती वो
कभी वीणा बजाती शास्त्रो का ज्ञान बनती वो ।
कही पर मां कही बहना कही अर्धागिनी है वो
किसी के दिल की धड़कन ,होठ की मुस्कान बनती वो।
कभी मीरा कभी पद्मीनी,कभी लक्ष्मी बाई बनती वो
कभी इन्द्रा बनब बंग्लादेश को आज़द करती वो।
आज वो हर क्षेत्र मे अपना स्थान बनाती वो ।
कभी शरहद कभी खेल कभीअंतरिक्ष यान उड़ती वो ।
करो मत भूल उसको फिर अबला समझने की
समय के साथ चलती वो बलवान बनती है ।