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मां शारदा

14 जून 2022

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मां शारदे
दोहा 
वीणापाणी अज्ञान हरो,दो ज्ञान वरदान।
धवलवश्त्र सुवासनी,हर लो सभी विकार ।।

ज्ञान सुधा से उर भरो,लेखनी बसो आप।
शब्द सृजन के शब्दो ,से करू निरंतर जाप।।

श्वेतांबरी जगदंबा ,शुक्लवर्णा स्वरूप ।
शतरूपा पद्यासना ,वीणावादित रूप ।।

हाथो मे स्फटिक की माला,श्वेत वर्णा नाम ।
श्वेत वसन कमलासना ,बसे मेरे उर धाम ।।

जय जय माता शारदा,नमन बारम्बार ।
सृजन शक्ति मै मांगती, प्रेम पुंज आभार ।।



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Richa Pande

Richa Pande

Bahut sundar

14 जून 2022

Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10086366

14 जून 2022

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मां शारदा

14 जून 2022
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मां शारदेदोहा वीणापाणी अज्ञान हरो,दो ज्ञान वरदान।धवलवश्त्र सुवासनी,हर लो सभी विकार ।।ज्ञान सुधा से उर भरो,लेखनी बसो आप।शब्द सृजन के शब्दो ,से करू निरंतर जाप।।श्वेतांबरी जगदंबा ,शुक्लवर्णा स्वरूप

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नारी

15 जून 2022
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दो कुल से है नाता मेरा ,दोनो कुल मेरे प्यारे है।दोनो मे है रक्त मेरा ,दोनो नयन सरीखे है।एक कुल का अंश हूं मै,एक कुल को वंश दिया है।दोनो कुल की खुशहाली हो,व्रत नियम तपस्या करती हूं ।एक से है मेरी

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भागीरथी

15 जून 2022
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गंगा पूजन को मै चली की,जय जय भागीरथी ।भागीरथ ने अटल पत किन्हा,व्रम्हा ,शिव को खुश किन्हा ।तभी धारा धरा पे बही कीजय जय भागीरथी ।पतित पावन है नाम तुम्हारा,सारे जग को तारन हारा।तेरी महिमा है कितनी भली की

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बादल

17 जून 2022
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नील गगन डोरियां,बांधे पछुआ बेग ।बूंदो वाली छतरियां ,जैसे खोले हुए है मेघ।हरी,हरी है बादियां ,पर्वत, शिखर,पठार ।अलसाये दिन भागते ,रिमझीत पड़तफुहार ।मादकता सेभरी हवा,शहद भरी सी शाम ।दादुर ,मीन सब हंस रह

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मेघ

17 जून 2022
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रिमझिम बसरे वदरिया,नभ मे छाये मेघ ।ताल ,तलैया भर गये,बरसे ऐसे मेघ ।दादुर,मोर सब बोलते,चहु दिश उठता शोर।बिजली,बादल,रोशनी,भाप बूंद महराब।नदियो को भी आने लगे पानी वाले ख्वाब ।बिजली की गर्जन सेफटा जह

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बरखा का सावन

17 जून 2022
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वो बरखा की बूंदो संघ ,वो सावन का आना ।वो बागो मे डालो पर ,झूलो का पड़ना ।वह झूले की मस्ती,और सखियो से अनबन।वह अमवा की डाली पर रस्सी की उलझन । वो सभी बहन बेटी का वो अपने मैके का आना ।वो सखियो मिल

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योग

21 जून 2022
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सभी सुनो आपने मन की बात योग करो और पाओ लाभ ।रोज करो सूर्य नमस्कार तन मे होता रक्त संचार ।ओज से है चेहरा दमकाती जब हम करते है कपाल भांती ।स्नायु मे है तेज बढातीजब गुंजित होती आसन भ

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नारी

22 जून 2022
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कभी ममता कभी करूणा कभीदया कासागर बनती वो।कभी हिम्मत कभी ताकत कभी ललकार बनती वो।कभी दर्गा कभी लक्ष्मी कभी बरदान बनती वो कभी वीणा बजाती शास्त्रो का ज्ञान बनती वो ।कही पर मां कही बहना कही अर्धागिनी

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मैका

24 जून 2022
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कभी बुलाने पर कभी बिन बुलायेबेटियां अधिकार के साथ मां पापा के घर पहुच जाती है सभी चिंताओ सेमुक्त देर तक सोती हैमनुहार कराती है मां से बचपन की तरह फरमाईसे करती है अपनी पसंद की वो वे

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मेरे सपने

24 जून 2022
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मै मां पापा की लाडली अन्नंत सपनो से अआंखे भरी ।चाह पंखो को फैला कर उड़ने कीआसमान के ऊचाईयो को छूने की ।बडी हो रही थी सपनो को लिए तभी परिस्थियो और संस्कारो ने पर बांध दिए ।पत्नी ,बहु,मां बन न

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शुकराना

24 जून 2022
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सुप्रभात शुकराना करना ईईष्ट देव अपनो को कहना।चेहरे परर मुस्कान खिली होवाणी रस से पगी हुई हो ।संदेह कभभी मत करना खुद पर खुद की काबिलियत और हुनर पर ।सुबह सुबह शुकराना सुन कर स

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खुशी

27 जून 2022
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सब को खुश करके खुद की खुशी ढूढ़ती थी ।सब का ख्याल रखती थी खुद को नही संभाली थी।सब को सयम देती परखुद को समय न दे पाती थी ।मन मे पीड़ा होती थी चेहरे पर शिकन न लाई थी ।उम्र बढी तन ढलता सा&

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सोलह श्रृंगार

27 जून 2022
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आज तीज के पावन पर्व पर कर रही मै श्रृगार सखी मै रूचि _रूचि करू श्रंगार ।कज़र, गजरा,टीका, बिन्दिया लाला सिन्दूर भरू मांगसखी मै लाल सिन्दूर भरू मांग सखी मै रूचि रूचि करूश्रृंगार ।कुण

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जीवन

30 जून 2022
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पचास के पार हो कर सोचती हूं इस उमर तक काम बहुत किया।कही नौकरी नही किया हां अपने परिवार के लिए जिया ।खट्टे, मीठे अनुभवो के साथ पूरे आनन्द और उमंग के साथ।बिना किसी की परवाह कियेअपनी जिम्म

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शिक्षा

30 जून 2022
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माता पिता से करू निवेदन बेटी खूब पढाओ तुम।सम्मान से जीने के लियेआत्मबिस्वास जगाओ तुम ।पढना लिखना बहुत जरूरी ये बात बतलाओ तुम ।पढ लिख कर नाम करेगी फिर जग मे इतराओ तुम ।प्रतिभा उन मेभरी प

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राखी

10 अगस्त 2022
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परदेश बसी हूं ,भाई राखी है सूनी अगर साथ होते खुशी होती दूनी।मै मंगल मनाऊ दुआ करती इतनी,है घायल हृदय दर्द उठता है खूनी ।हमे याद बहुत आती तुम्हारी है भाई,धधकती है ज्वाला पर सती न बन पायी ।है पती के

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बेटी

11 अगस्त 2022
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आंखो मे आंसू आंचल मे खोइचा के चावल मां बाबा भाई बहन सखियो को रोता छोड़ अपने संघ संस्कारो की गठरी ले बिदा होती बेटीकिसी अनजाने के संघ अपने घर को बिदा होती फिर से नये जन्मी सी अलग द

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