नारी तू ही नारायणी,
मां, जननी, जगदम्बा।
नारी से होता संसार,
नारी की महिमा अपार।।
नारी होती है स्वयं शक्ति,
होते हैं इसके विभिन्न रूप।
जरूरत खुद पहचानने की,
होते हैं क्या इसके स्वरूप।।
नारी दुर्गा नारी ही शक्ति,
नारी शक्ति अपरम्पार है।
खुद को जाने और पहचाने,
जीवन मंत्र का यही सार है।।
नारी ही शक्ति स्वयं सिद्ध,
खुद को विभक्त किया है।
नारी मां बहन और बेटी,
खुद को अर्पण किया है।।
खुद को भूल कर वह तो,
सबके लिए वह जीती है।
परिजन में ही अपना जीवन,
वह देखती और संवरती है।।
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