हौसलों की उड़ान भरते ही,
मंजिल पाने की चाहत होती।
नित्य कर्म प्रयत्न शील रहते,
कोशिशें ही कामयाब होती।।
हौसलों की उड़ान भरते ही,
कर्म भूमि से जुड़े रहते हम।
आसमां छूने की कोशिश में,
सूरज को भी छू लेते हम।।
हौसलों की उड़ान भरते ही,
समय गतिमान हो जाता है।
बीता समय वापस नहीं आता,
कालचक्र सा चलता रहता है।।
हौसलों की उड़ान भरते ही,
नए लक्ष्य को हासिल करते।
कर्म करना ही जिंदगी होती,
यही मानदंड स्थापित करते।।
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