सपने ओर ज़िम्मेदारियाँ इंसान को समय से पहले परिपक्व बना देती है।
कितना हसीन दिन था जब मेरी पहली नौकरी लगी थी पर एक डर भी था मन में के कैसे वापस से नए शहर में अपने आप को ढालपाऊँगा.
…….पर कहते है जहां चाह वहाँ राह ….
अपनी राह बनाना खुद सिखा था जैसे नौकरी पर लगा बहन की शादी फ़िक्स हो गई ओर मैंने अपनी तरफ़ से मेहनत करके उनके सपनोको साकार किया ।।
मेहनत ओर भगवान की कृपा से जीवन में आगे बड़ता गया ओर समय का पहिया ऐसे घुमा के जिस शहर से शुरूवात किया था वापसवही आना पड़ा…
वो दिन भी क्या दिन था जब में इंटर्व्यू ले रहा था ओर एक ऐसा चेहरा सामने आया जिसके साथ कभी जीवन बिताने कि सोचा था ।।
चेहरा वही था पर मुस्कान ग़ायब थी वो तो मुझे ना पहचान पाई पर मे उसको कैसे भूल सकता था ?
वही कालेज जी चंचल परी॥॥॥
पर आज परी उदास क्यूँ थी ?
जब मुझे पता चला के उसकी शादी हों गई है ओर एक बेटी भी है दिल ज़ोर से टूटा आँख भी नम हुई पर दिल का दर्द दुनिया को दिखानेसे दुनिया सिर्फ़ हँसती है ।