क्या सच में दुखी हूँ में ?( एक बेटे की कहानी)
आज घर में मातम छाया है, माँ सुबक सुबक कर रो रही है, बहन की आँखो से आँसु का सागर निकल रहा है, रिश्तेदार जो कभी सुख मेंशरीक ना होते है आज उनकी भी आँखे नम है..
पर मुझे क्या हुआ है क्यू मेरी आँखो में एक बूँद पानी नही है,क्या मेरी आँखो का पानी पहले ही सूख गया है?
क्या में आज नही रोया तो समाज मुझे नाकारा बेटा कहेगा ?
आज मेरा बाप मरा है ओर सबकी आँखो में पानी है,पर क्या सच में यह मौत आज हुई है ?
क्या तब वो ज़िंदा थे, जब पहली बार उन्होंने शराब पीकर माँ को मारा था ?
उस दिन क्या वो ज़िंदा थे, जब शराब के कारण मेरा ओर मेरी बहन का स्कूल का फ़ीस ना भरा था ओर हमें स्कूल से निकाल दिया था ?
जब माँ को काम पर जाना पड़ता था ओर वो सिर्फ़ उनके पैसे की शराब पीकर बैठे रहते थे,घर बिक गया घर का सारा सामान बिक गया. बहन की शादी टूट गई,मेरी पड़ाई की उम्र लोगों के जूठे बर्तन साफ़ करने ओर गालियाँ खाने में निकल गई.
माँ -बहन रिश्तेदारों को रोता हुआ देख दिमाग़ ने मान लिया के उनकी मौत आज हुई है,पर दिल तो कहता है मौत तो आज से बहुत पहलेउस समय हो गई थी जब पहली बार उन्होंने शराब को हाथ लगाया था,जब पहली बार शराब के पैसे के लिए माँ पर हाथ उठाया था , जब अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ा था।।
दिल ओर दिमाग़ में बहस ओर हलचल है,
दिमाग़ कहता है आँसु बहा पर दिल कहता है कहा से लाऊँ ओर आँसु इन आँखो में,जितने आँसु थे सब बह चुके इतने सालो में पल पलकी मौत देखकर,
आज किसकी मौत हुई है ?
आज तो बस एक रस्म हुई है जिसका नाम मौत है वर्ना वो ज़िंदा ही कहा थे ।।।