जीवन में एक ऐसा मोड़ भी आता है जब हम खुद सोचने लगते के हमने क्या खोया है ओर ओर क्या पाया है ।
जब पीछे मुड़कर देखते है तो सब बातें चल चित्र के जैसे आँखो के सामने घूमने लगती है ,
आज मन क्यूँ सब याद कर रहा है ?
मन में इतनी उथल पुथल क्यूँ है ?
एक दिन था जब हम दुनिया से लड़कर अपने आप को सबसे उपर समझते थे आज वहि सब लोग क्यूँ हितेशी लगने लगे है ।
शादी किया क्यूँकि किसी का दुःख ना देखा गया, पर क्या मुझे ख़ुश रहने का अधिकार नही है ?
क्या खोया है क्या पाया है ?
पाया है दुनिया की सबसे महान ओर पवित्र देन जो है सच्चा प्यार ।
पाया है एक ऐसी बेटी शायद जिसके साथ रिश्ता भगवान ने बनाया ।
पाया है एक ऐसी लड़की जिसका सपना कई सालो तक देखा ।
क्या खोया है मैंने --
खोया है समाज के बनाए कुछ रिवाज ,
समाज सिखलाता है की शादी एक त्योहार है उसको त्योहार के जैसे मनाओ
समाज कहता है अपना खून अपना होता है पर क्या दिल से बने रिश्तों की किम्मत कुछ नही है।
क्या एक दुखी की मदद करना गुनाह है क्या सच्चा प्यार पाना गुनाह है ?
“”ना कोई रंज है ना कोई रुसवाई है
हम किसी को क्या कहे हमने तों अपने कर्मों की सजा पायी है””
लोग कैसे बदल जाते है इसकी कहानी है यह ब्लैक
दुखी इंसान जब ख़ुश होता है तो उसको दूसरो की ख़ुशी से मतलब नही होता यही है कहानी ब्लैक ।।