कालेज ज़िंदगी की नयी शुरूवात होती है, नए सपने बनते है कुछ पूरे होते है कुछ टूटते है ।
ऐसे ही कुछ सपने लिए हम अपने सपनो के शहर नागपुर में आए .
घर के लोगों कि उम्मीदों का बोझ अपने सर पर लेकर चल दिए एक सफ़र पर, किसने सोचा था इस सफ़र में एक हमसफ़र मिल जाएगा॥
वो दिन जब गुरु के पूजा की जाती है उस दिन एक ऐसा चेहरा दिखा जो सबसे हसीन था,एक कशिश थीं ओर एक उदासी भी थी उसकेचेहरे में ।
जब देखा तब दिल ने नए सपने बुनना शुरू कर दिया,पर क्या इतना आसान है जो चाहो वो मिलना ?
ज़िंदगी चलती रही ओर एक सबक़ सिखा गई के गाँव ओर शहर में बहुत फ़र्क़ होता है जहां गाँव में सच्चाई ओर बनावटी पन नही होतावहि शहर अपने आप में बहुत सारे दिखावे लिए होता है ।
कितना नाज़ था उसको अपने उपर ओर क्यू ना हो वो इस कालेज की सबसे सुंदर लड़की जो थी. कितना नाम था उसका इस कालेज मेंहर लड़का उसके साथ अपना नाम जोड़ना चाहता था ओर वो चंचल तितली जैसे उड़ना चाहती थी ।
कभी सोचा ना था के वो मेरी हमसफ़र बन सकती है इतना आत्म-विश्वास भी ना था ।
फिर घर की ज़िम्मेदारियाँ याद आ गई ओर हम अपना कालेज पूरा करके ज़िंदगी के सबसे कठोर सफ़र याने नौकरी की तलाश मेनिकल पड़े ।।।