कितनी बातें याद आ रही थी,बार बार मन मे एक विचार आ रहा था। क्या गलती थीं उस मासूम लड़की की ?
कालेज कि सबसे हंसमुख लड़की आज कितनी उदास ओर व्याकुल थी ।।
जब उसने बताया के उसकी कालेज से निकलने के बाद ही उसके माता-पिता ने शादी करवा दिया था, पर शायद उसके नसीब में यह ग़मलिखा था जिससे शादी करवाई वह शायद उस हसीन चेहरे के लायक़ ना था ।
वो बेचारी सिर्फ़ रिश्ता बचाने की ख़ातिर रोज़ पति से मार खाती रही सब जुल्म सहती रही .जिस हँसी पर पूरा कालेज फ़िदा था वह हँसीउससे उस ज़ालिम ने छीन लिया था ।
अगर पति ख़राब हो तब भी इस समाज में उसकी गलती कोई नही मानता ।।
ठीक ऐसा इसके साथ हुआ समाज ने कहा एक बच्चा पैदा कर लो शायद वो सुधर जाए . इसी शायद को उसने सच मानकर एक लड़कीपैदा किया पर वो ज़ालिम तब भी नही सुधरा ओर उसके जुल्म ओर बड़ गए ओर वो बेचारी बस रिश्ता सम्भालती रही .. पर हर एकजुल्म की एक समय सीमा होती है ओर उस समय सीमा के बाद बांध टूट जाता है ।
जब उसका सब्र का बांध टूटा तो वो हारा शरीर ओर टूटा दिल लेकर अपनी बेटी को लेकर अलग रहने लगी ..
माँ बाप, भाई भाभी को उसके ज़ख़्म ओर आँसु ना दिखे उनको तो अपनी लड़की ओर बहन बोझ लगने लगी ।।
अब वो लड़की से एक शादी-शुदा स्त्री ओर एक तीन साल की बेटी की माँ भी थी ओर समाज अकेली स्त्री को जीने नही देता ।
मन बड़ा विचलित था उसका ग़म देखा नही जा रहा था ,पर वो एक बिहायता स्त्री थी
पर उसका ग़म जीत गया ओर मेरा मन हार गया मैंने दुनिया ओर अपनो से लड़कर उससे शादी कर लिया ओर बच्ची को अपना नामदिया ।।।।