सोचा नही था तक़दीर यहाँ लाएगी मंज़िल पर आकर ही जान चली जाएगी,
ब्लैक - एक कलर सिर्फ़ नही है ,ब्लैक है एक अताह सागर
ब्लैक है एक गहरा अंधेरा
जनम क्या होता है?
एक ख़ुशी एक उल्लास होता है जनम लेना
पर जब जनम के समय कोई कह दे के बचने की उम्मीद नही तो वो किस जनम लेना ???
३ नवम्बर १९८० का वो दिन जब जनम हुआ या कहे के भगवान ने भेजा इस धरती पर ब्लैक कलर का अनुभव लेने के लिए ।
ना कोई पूर्ण शरीर था ना, ना पूर्ण विश्वास था किसी को मेरे जनम लेने का .
बस एक आस थी के भगवान ने भेजा है तो वो देख लेगा
बचपन ओर जवानी के बीच का समय किसी गीता-क़ुरान के जैसा पवित्र होता है तब शरीर दिल से सोचता है,पर क्या सोचने से सबमिल जाता है ओर क्या उसको सब कुछ मिलेगा जिसको भगवान ने पैदा करते समय एक पूर्ण शरीर तक ना दिया हो ?
कौन था वो जिसके तरफ़ मन झुका हुआ था?
क्या मन भूल पाएगा वो सब
शायद ;हाँ;
क्यूँकि याद वो रहता है जो दिल के क़रीब हो पर जो दिल तोड़ता है वो याद रखने के भी क़ाबिल नही होता ।
बचपन बीता यादों को भूलकर आगे का सफ़र शुरू हुआ जीवन का या कहे ब्लैक की खोज का -