‘एक तो करेला, ऊपर से नीम चढ़ा’...ये कहावत आपने ज़रूर सुनी होगी I इसका मतलब है एक मुश्किल पर दूसरी मुश्किल आ जाना I लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि करेला और नीम दोनों ही बड़े काम की चीज़ें है I अगर आप भारत में रहते हैं तो आप करेला और नीम दोनों से ही भलीभांति परिचित होंगे I अगर हम बात सिर्फ नीम की करें तो यह भारतीय मूल का एक सदाबहार वृक्ष है, और यह अनेक देशों में आसानी से पाया जाता है I
नीम को गावों का डॉक्टर या वैद्य कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी I हजारों वर्षों से लोगों को इसके औषधीय गुणों की जानकारी रही है और यही कारण है कि नीम सदैव हमारे जीवन से जुड़ी रही है I वास्तव में नीम का स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके गुण बड़े मीठे होते हैं I तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है कि एक नीम और सौ हकीम, दोनों बराबर हैं I इसका प्रयोग हर्बल ओर्गानिक पेस्टिसाइड, साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेह नाशक चूर्ण, कॉस्मेटिक आदि के रूप में किया जाता है I
➧नीम की दातुन में ऐसे गुण होते हैं, जो दांतों और मसूड़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते, जिसके कारण दांत स्वस्थ और मज़बूत रहते हैं I
➧नीम की छाल को पानी के साथ घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है I
➧नीम का तेल चर्म रोगों को दूर करता है I
➧नीम के तेल का दिया जलाने से मच्छर भाग जाते हैं जिससे मच्छरों से होने वाली बीमारियों से बचाव हो जाता है
➧नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है I
➧नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चरम विकार दूर होते हैं I यह चेचक के विषाणुओं को भी फैलने से रोकता है I यही कारण है कि चेचक के रोगी को नीम की पत्तियां बिछाकर उस पर लिटाते हैं I
➧नीम मलेरिया फ़ैलाने वाले मच्छरों को दूर करता है I नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है I
➧बिच्छू के काटने पर नीम की पत्तियां मसल कर काटे गए स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है I
➧नीम की पत्तियां अनाज के साथ रखने से कीड़े और घुन नहीं लगते I
➧नीम का फूल तथा निबोरियां खाने से पेट के रोग नहीं होते I
विदेशों में भी नीम को एक ऐसे वृक्ष के रूप में जाना जाता है जो मधुमेह, एड्स, कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का इलाज कर सकता है I
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D